June 14, 2025
Business Trends

Boeing क्या उतने सुरक्षित प्लेन बनाती है जितने वह बताती है

बोइंग को जल्दबाज, बाजार के दबाव में प्रोडक्शन में समझौता करने वाली और जांचों को टालने वाली कंपनी मानने वालों की कमी नहीं है

एअर इंडिया के अहमदाबाद वाले विमान हादसे से बोइंग पर अब तक लगते रहे सवाल फिर गहरा गए हैं. हालांकि यह किसी बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का पहला इतना बुरा हादसा है लेकिन इस विमान पर सवाल तब से हैं जब से इसे दुनिया के सामने पेश किया गया था. जो प्लेन अहमदाबाद में दुर्घटना का शिकार हुआ वह 11 साल पुराना था जो अपेक्षाकृत नया इसलिए माना जाएगा क्योंकि बोइंग अपने प्लेन की उम्र पचास साल तक बताता है. 787-8 ड्रीमलाइनर भी उसी लाइन का हिस्सा है जिसमें बोइंग ने उसकी कांपीटीटर कंपनी यानी एयरबस को टक्कर देने के लिए अपने पुराने प्लेन की डिजाइन सहित कुछ छोटे मोटे बदलाव कर उन्हें नया नाम दे दिया और बेचने लगे. ड्रीमलाइनर 787-8 को ईंधन की बचत करने वाला और एल्युमिनियम बॉडी वाले प्लेन्स के मुकाबले हल्का बताकर कंपनी ने इतना बेचा कि आज इसके लगभग हजार से ज्यादा प्लेन दुनिया भर में उड़ रहे हैं लेकिन इतने प्लेन बनाने के लिए कंपनी को लगातार समझौते करने पड़े और इसमें सुरक्षा को लेकर किए गए समझौते भी शामिल हैं. बोइंग के ही पूर्व कर्मचारी रहे जॉन बार्नेट नाम के इंजीनियर ने दावा किया था कि बोइंग न सिर्फ सुरक्षा के जरुरी मानकों की अनदेखी करती है बल्कि सुरक्षा जांचों को अपने दबाव से प्रभावित भी करती है. उन्होंने सीधे कहा कि बोइंग ने उत्तरी कैरोलिना वाली फैक्ट्री में गुणवत्ता जांच हर बार नजरअंदाज की. बार्नेट का कहना था कि मैनेजर्स कर्मचारियों पर फॉल्ट दर्ज न करने का दबाव तक डालते थे और यह सब इसलिए क्योंकि ऑर्डर्स के दबाव के चलते प्रोडक्शन तेज रखना था. वे तो नकली जांच रिपोर्ट तक बनवाने का आरोप लगाते रहे और स्क्रैप से पार्ट लेकर प्लेन में फिट कर देने की बात बताते रहे. जाहिर है ये बहुत बड़े आरोप थे लेकिन बोइंग का रसूख इससे भी बड़ा था, इसी वजह से एक दिन बार्नेट संदिग्ध रुप से मृत पाए गए.

एक अन्य व्हिसल ब्लोअर सैम सैलेहपॉर भी कभी बोइंग का हिस्सा थे और उन्होंने यहां तक कहा कि बोइंग न 787 और 777 बनाने को लेकर कई लापरवाहियां की हैं जो जानलेवा हो सकती हैं. जब इस तरह की बातें बढ़ने लगीं और कुछ मामलों में तो बोइंग के कुछ विमानों को ग्राउंड ही करना पड़ा तो कंपनी के (अब एक्स हो चुके) सीईओ डेव कॉल्हान से कड़े सवाल जवाब करते हुए पिछले ही साल मिसूरी के सीनेटर जॉश हॉली ने उनसे इतना तक कह दिया था कि आपका पद पर बने रहना शर्मनाक है. जापाान सहित कुछ देशों में इसकी लिथियम बैटरी को लेकर इतना हंगामा मचा था कि सारे प्ले ग्राउंड किए गए और बाद में बैटरी बदलकर ही इन्हें चलाया गया. जब कंपनी की जांच की गई तो यह भी पाया गया कि पुजोंर् को जोड़ने के लिए कर्मचारियों को होल मिलाने के लिए कूद कूद कर भी जोड़ बैठाने पड़े जो पार्ट्स को डिफॉर्म करने के लिए पर्याप्त था. फैक्टरी में कई गड़बड़ियां पाई गईं और बोइंग के अलग अलग मॉडल अलग अलग वजहों से सवालों में बने रहे लेकिन अमेरिकन सरकार सिर्फ जांच करती रही और बोइंग को प्लेन बनाने में कोई रोक टोक नहीं की गई क्योंकि मामला सीधे व्यापार का था. जिस 787 ड्रीमलाइनर से रोज 4 लाख यात्री ट्रैवल करते हों, जिसे सबसे सुरक्षित एयरक्रॉफ्ट में से एक माना जाता हो, जो कार्बन फाइबर जैसे कम्पोजिट मटेरियल से बना होने के चलते काफी मजबूत माना जाता हो उसका अहमदाबाद में इस तरह से क्रैश होना सवाल तो उठाता ही है. बोइंग पर आंख बंद कर भरोसा किया जाना भी अब बंद करना ही होगा क्योंकि अब तक जितने आरोप इस कंपनी पर लगे हैं उनके संतोषजनक जवाब तो आज भी नहीं मिले हें बल्कि सवाल बढ़ते ही जा रहे हैं.