July 14, 2025
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Wikipedia की जानकारी पर कितना करें भरोसा

सरकार ने सवाल पूछे तो पता चला कि किस हद तक है जानकाारियों पर नियंत्रण

जानकारियों के लिए विकीपीडिया पर लिखी बात को अंतिम सत्य मानने वालों के लिए यह जानना चौकाने वाला हो सकता है कि खुद विकीमीडिया फउंडेशन की सीईओ रही कैथरीन ने कहा है कि विकीपीडिया इस बात पर जोर देता है कि ज्यादातर लोग क्या उचित और सही मानते हैं यानी सच की बजाए यदि किसी झूठी जानकारी चली आ रही है तो उसे ही परोसने में इस प्लेटफॉर्म को कोई दिक्कत नहीं है. दरअसल नवंबर 2024 में केंद्र सरकार ने विकीपीडिया को इस बात के लिए नोटिस भेजा कि ‘फ्री इनसाइक्लोपीडिया’ कहे जाने वाले इस प्लेटफॉर्म पर भ्रामक और पक्षपाती जानकारी क्यों परोसी जा रही हैं. सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिए इस नोटिस के बाद यह बात सामने आई कि इस प्लेटफॉर्म पर दी जाने वाली सामग्री पर कुल जमा 435 लोगों के संपादक मंडल का नियंत्रण रहता है, इन सभी को विकीपीडिया पर डाली गई किसी भी जानकारी को तोड़ने, मरोड़ने और अपनी तरह से उसे बदल देने के अधिकार दिए गए हैं. केंद्र सरकार का सवाल थ

कि एकपक्षीय जानकारियां देने वाले विकीपीडिया को महज एक मध्यस्थ न मानते हुए एक प्रकाशक क्यों न माना जाए. दरअसल कभी विकीपीडिया की सीईओ रहीं कैथरीन ने अगस्त 2021 में एक बातचीत के दौरान यह बताया था कि विकीपीडिया की यह बात सच हो जरुरी नहीं है. यूं तो कहा जाता है कि विकीपीडिया यूजर्स द्वारा स्वैच्छिक रूप से एडिटिंग के आधार पर चलता है लेकिन हकीकत यह है कि इस पर कुछ गिने-चुने लोगों का नियंत्रण है. इन लोगों के पास अधिकार हैं कि वे कौन सी जानकारी प्रकाशित होने दें या किसे रोक लें या बदल दें. इन एडिटर्स के पास आर्टिकल पर बैन लगाने से लेकर किसी को एडिटिंग से रोकने तक के अधिकार हैं इसके अलावा पेज हटाने, पेज लॉक करने और सामग्री को ओवरराइड करने जैसे पावर्स से लैस ये एडिटर सारी सामग्री पर व्यापक नियंत्रण रखते हैं. मजे की बात यह है किदुनिया भर में फैले इन 435 लोगों के निर्णय को चुनौती देने की भी कोई व्यवस्था नहीं है. विकीपीडिया की कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं है और न सच लिखने का कोई आग्रह है बल्कि इनका पूरा ध्यान इस बात पर होता है कि लोग क्या सच मानते रहे हैं. सच से भागने की बात पर विकीपीडिया का कहना है कि सच के कई रुप हो सकते हैं और सच बात को लेकर कठोरता से खोज करने के चलते लोगों के बीच विभाजन की स्थिति बन सकती है इसलिए हम सच जानने के ज्यादा प्रयासों पर नहीं जाते. कैथरीन ने तो एक पुराने इंटरव्यू में यह भी कहा कि जब हम सत्य पर जोर देते हैं, तो यह हमें विभाजन की ओर ले जाता है, न कि एकता की ओर जबकि हम एकता के लिए काम करते हैं इसलिए हम मिनिमम वायेबल ट्रूथ की बात करते हैं. यह त्रुटिपूर्ण और अधूरा भी हो सकता है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह उतना ही पक्षपाती है, जितना हम सभी हैं.