Vinesh Phogat से सोना लाने की उम्मीद थी, हाथ लगा सिफर
विनेश के ओलंपिक से बाहर होने के आरोप प्रत्यारोपों के बीच समझिए पूरा मामला
विनेश फोगाट के ओलंपिक से बाहर होने के मामले ने तूल पकड़ लिया है और पूछा जा रहा है कि ये कैसे हो सकता है कि वो रातोरात ओवरवेट हो गईं. जिन्हें विरोध ही करना है वे तो नीता अंबानी के पेरिस में होने को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं और उनकी साजिश वाली थ्योरी ही खत्म नहीं हो रही हैं लेकिन इस मामले में कुछ तथ्य यदि पहले जान लिए जाएं तो बेहतर तरीके से मामले को समझा जा सकता है.पहली बात तो यह कि विनेश 53 किलो वर्ग में अब तक रिंग में उतरती रही थीं लेकिन यह भार वर्ग उन्होंने कुछ समय पहले ही बदला और यह बदलते ही उन पर यह जिम्मेदारी आ गई थी कि वो अपना वजन न सिर्फ कम कर इस केटेगरी में आएं बल्कि इसे मेंटेन भी रखें.
यह केटेगरी बदलने का खेल भी समझिए, जब आप देखते हैं कि 53 किलो वर्ग में कठिन ड्रॉ आएंगे जबकि पचास किलो वर्ग में अपेक्षाकृत हलके और असान डॉ मिलने की संभावना है तो आप केटेगरी बदलते हैं बशर्ते आप इतनी फ्लेक्जिबिलिटी रखते हों कि एक साथ चार पांच किलो वजह कम करने पर भी आपकी क्षमताएं प्रभावित न हों. विनेश ने पहले के मुकाबलों में वजह कम रखने की हरसंभव तकनीक अपनाई और फाइनल तक पहुंच गईं लेकिन शरीर की खान पान की अपनी जरुरतें होती ही हैं और ऐसे मुकाबलों में तो पानी पीने तक का असर आपके वजन पर पड़ सकता है. फाइनल से पहले जब उनका वजन हुआ तो वह सिर्फ सौ या ड़ेढ़ सौ ग्राम ज्यादा नहीं था बल्कि परमिसिबल मार्जिन से इतना ज्यादा था.
अब यहां एक और पेंच देखिए, यदि विनेश को वजन को काबू में रखना मुश्किल लग रहा था और इस समस्या से वो पहले से जूझ रही थीं (इस संदर्भ में खुद उनके हिमायती बजरंग पूनिया का बीबीसी से इंटरव्यू देखा जाना चाहिए), जहां तक रातेारात वजन बढ़ने का सवाल है तो यदि आप शरीर को लंबे समय तक खाने और पानी तक नहीं देते हैं तो शरीर अर्थशास्त्र के उपयोगिता ह्वास नियम का उपयोग करता है यानी पहली रोटी जितनी ऊर्जा आपको देती है उतनी ऊर्जा की उम्मीद आपकी डाइट पूरी करने वाली रोटी से नहीं की जा सकती. ऐसे में यदि आप शरीर को थोड़ी भी खुराक देते हैं तो वह आपके वजन को संतुलित करने में जुट जाता है.
दरअसल विनेश के लिए फाइनल मुकाबला खेलना डिसक्वालिफाई न होने की दशा में भी थोड़ा मुश्किल होता क्योंकि इधर उन्हें डिसक्वालिफाई होने की घोषणा हुई और उसके कुछ ही देर बाद उनकी तबियत डिहाइड्रेशन के चलते बिगड़ गई. विनेश के बाहर होने का पूरे देश को दुख है लेकिन अब उनके कोच से लेकर पूरे स्टॉफ की जिम्मेदारी तय करनी होगी जिन्होंने देश को एक गोल्ड से वंचित करा दिया और वह भी अपनी लापरवाहियों के चलते. सबसे पहले तो जड़ से बात शुरु करनी चाहिए कि भार वर्ग क्यों और किस सलाह पर या किस उम्मीद पर बदल दिया गया और फिर यदि इतना बड़ा निर्णय लिया ही गया था तो उसके अनुरुप तैयारियों में कहां कसर रह गई.