The Cup Of Life और जीवन की सीख
प्रोफेसर साहब खुद कॉफ़ी लाये तो वे सभी जो कभी उनसे पढ़ते थे और आज उनसे सिर्फ मिलने आये थे, चौंक गए. दरअसल अपने अपने क्षेत्र में काफी नाम कमा चुके और बड़ी बड़ी तनख्वाह पर काम करने वाले प्रोफेसर साहब के पूर्व छात्रों ने मिलना प्लान ही इसलिए किया था कि बीस साल बाद अपने गुरुओं को धन्यवाद कह सकें, इस बहाने सभी क्लास मैट्स का मिलना हो जायेगा तो यह सोने पर सुहागा वाली बात होगी. प्रोफेसर साहब कॉफ़ी खुद लाये और उससे भी बढ़ कर बात यह थी कि हर कप अलग था, कोई दो कप भी एक जैसे नहीं। सभी अपनी पसंद से कप उठाते गए और आखिर प्रोफेसर साहब वह कप बच गफया जो दिखने में सबसे कम आकर्षक था या यूँ कहें रद्दी किस्म का था. बातें होती रहीं लेकिन किसी को तो पूछना ही था इसलिए वह प्रश्न सामने आ ही गया कि आखिर सबके कप अलग अलग क्यों थे. प्रोफेसर साहब मुस्कुराकर बोले कॉफ़ी लाने पर सभी का ध्यान अच्छे से अच्छे कप पर था. सभी ने कोशिश की कि उसे सबसे अच्छा कप मिले जबकि सभी में कॉफ़ी बराबर थी और अच्छे से अच्छे कप में भी कॉफ़ी की क्वालिटी पर कोई असर नहीं पड़ जाना था. शायद यही हमारी जिंदगी में भी हो रहा हो. अच्छी नौकरी से लेकर महंगी से महंगी चीज़ें खरीद सकने की हैसियत की तुलना इस कप कर लीजिये इसलिए मेरी नज़र में कप चुनना उतना महत्व का नहीं होगा जितना फर्क इस बात से पड़ता है कि आप कॉफ़ी पर कितना ध्यान दे रहे हैं और उसका आनंद ले रहे हैं. जो आपको आनंद में दिख रहे हैं उनके पास सबसे बेहतर चीज़ें हों जरूरी नहीं लेकिन वे जानते हैं कि आनंद कॉफ़ी का लेना है.