Ratan Tata जो वाकई भारत के रतन थे
–ब्लड प्रेशर लो होने के बाद सोमवार को अस्पताल ले जाए गए थे
-टाटा संस के चेयरमेन एमरिटस रतन टाटा का 9 अक्टूबर की रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया, रतन टाटा एक ऐसे उद्योगपति रहे जिन्होंने ईमानदारी, नैतिकता और सामाजिक सरोकारों के मामलों में नए प्रतिमान गढ़े. टाटा संस की 121 देशो में फैली साख और एक लंबी श्रंखला जब से रतन टाटा के हाथ में आई तब से उसने इन मूल्यों के साथ कई गुना बढ़ोतरी ही की.
सोमवार को उनका ब्लड प्रेशर अचानक काफी कम हो गया था उसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था. उनकी हालत में सुधार भी होने लगा और उन्होंने अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंता कर रहे लोगों को दिलासा देते हुए पत्र भी लिखा लेकिन बुधवार की रात डॉक्टरों ने इसकी घोषणा कर दी कि उन्हें बचाया नहीं जा सका.28 दिसंबर 1937 को नवल अरैर सुनु टाटा के घर जन्मे रतन जमशेद जी टाटा के परपोते होने के गुरुर में कभी नजर नहीं आए बल्कि वे महंगी रोल्स रॉयस कार से स्कूल लाने ले जाने से इतने बचते थे कि पैदल ही आना जाना पसंद करते थे. शर्मीले रतन ने असिसस्टेंट बतौर जब काम शुरु किया था तो कोई यह कल्पना नहीं कर पाया था कि वे जेआरडी के उत्तराधिकारी होंगे. उन्हें आर्किटेक्चर से बहुत लगाव था और उन्होंने पढ़ाई इंजीनियरिंग में की थी. बतौर आर्किटेक्ट उन्होंने अपनी मां के लिए घर डिजाइन किया था, इन दोनों ही शिक्षाओं को उन्होंने व्यवसाय में बखूबी इस्तेमाल किया.
रतन टाटा यही कहते थे कि मैं हमेशा ऐसे याद किया जाना पसंद करूंगा कि मैं सकारात्मक बदलाव लाने में सफल रहा, कि मैंने वैल्यू और सिस्टम का सम्मान करते हुए ग्रुप को आगे बढ़ाया. ऐेसे कमाल के व्यक्तित्व रतन टाटा को श्रद्धांजलि…
