PHED: लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अदालत का भी कहना नहीं मान रहा
अदालत से न्याय मिला लेकिन विभाग अन्याय करने पर आमादा
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अपने ही विभाग के कर्मचारियों से इस तरह पेश आ रहा है मानो दुश्मन देश से युद्ध कर रहा हो. पीएचई में कर्मचारी पुष्पा कोरान्ने व अन्य कर्मचारियों ने स्थायी कर्मचारी का वेतनमान न देने के मामले में उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दे कर कहा है कि विभाग आदेश का पालन नहीं कर रहा है. दरअसल वे 13 अगस्त 2004 से विभाग में कार्यरत हैं, लेकिन अब तक उन्हें स्थायी कर्मचारी का वेतनमान नहीं दिया गया जो अदालत के आदेश का उल्लंघन है. इन कर्मियों के पक्ष में श्रम न्यायालय और हाइकोर्ट में हुए निर्णय के मुताबिक इन्हें न्यूनतम वेतनमान के अनुसार वेतन एवं प्राप्त राशि में जो अंतर है उस धनराशि का भुगतान करना था लेकिन विभाग ने निर्णय का पालन नहीं किया. आखिर इन कर्मचारियों को हाइकोर्ट में अवमानना याचिका प्रस्तुत करना ही पड़ी. याचिका की सुनवाई के दौरान विभाग के अधिकारीगण ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर विभाग का पक्ष रखते हुए कहा था कि सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वर्गीकृत विवाद का निपटारा करने हेतु जिस समिति का गठन किया गया है वही इस मामले में भी उन कर्मचारियों के मामलों के साथ ही निर्णय करेगी जिन लोगों ने न्यायालयीन कार्यवाही नहीं की है. यानी आदेश के बावजूद विभाग निर्णय के अनुसार वेतन का भुगतान करने में जानबूझकर देरी करना चाहता है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रखर कर्पे ने बताया कि विभाग द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष अवमानना याचिका में आश्वासन देने के उपरांत और इस आधार पर परिपत्र विभाग द्वारा प्रसारित किए जाने के बाद भी कर्मचारियों को लाभ न दिए जाने पर धार में कार्यरत कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की जिसमें विभाग को निर्देशित किया गया कि कर्मचारियों को 2003 से लाभ दिया जाए इस आदेश को लेकर विभाग ने पुर्नविचार याचिका भी लगाई थी जो कोर्ट ने निरस्तकर दी. विभाग की रिट अपील भी निरस्त की गई और रिट अपील के निर्णय की पुनर्विचार याचिका भी 26 अप्रैल को निरस्त हो गई. अब कर्मचारियों को हाइकोर्ट में अवमानना याचिका लगाने को मजबूर होना पड़ा जिसका निर्णय आना शेष है लेकिन सवाल यह है कि विभाग इस तरह की हठधर्मिता पर क्यों अड़ा है और अपने ही कर्मचारियों से ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है. इस प्रक्रिया में विभाग की हठ धर्मिता का मानसिक संत्रास कर्मचारी अवधेश लाड को इस हद तक हुआ कि उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया और अब वे पिछले 15 दिन से कोमा में हैं और अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच का संघर्ष झेल रहे हैं. इस बारे में सारी जानकारी होने के बाद भी विभाग अपने अड़ियल रवैये पर कायम है और इस रवैये के कारण वह अदालत के निर्णयों को भी मानने से इंकार कर रहा है जबकि इस प्रक्रिया में वह कई कर्मचारियों के लिए मानवीय त्रासदी खड़ी कर रहा है.