April 19, 2025
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Indore Loksabha कांग्रेसी जो वाकई दुखी हैं

एक वीडियो सोशल मीडिया से सामने आया जिसमें देवेंद्र यादव न जाने किस कांग्रेसी नेता से बात कर रहे हैं, बेहद दुखी, हताश और निराशा के साथ वे तीखे तेवर में पूछ रहे हें कि पैसा लेकर टिकट देते ही क्यों हो? देवेंद्र वो हैं जो कांग्रेस के हर कार्यक्रम में नजर आते हैं, कोई बड़ा नेता आए तो गले में कांग्रेसी दुपट्‌टा डाले वो मौजूद मिलेंगे. गर्मी, बारिश या धूप की चिंता किए बगैर बंदा नजर आता है लेकिन मंच पर चढ़ने से भी उसे कई बार रोक दिया जाता है. इधर दो दिन से हवाओं में खबरें तैर रही थीं कि यदि अक्षय कांति बम को साधा नहीं गया तो वे नामांकन वापस ले सकते हैं और आखिर नाम वापस लेने के आखिरी दिन वही हुआ. यानी जीतू पटवारी जिसे बलि का बकरा समझ कर लाए थे और मान रहे थे कि यह अपनी जेब से पैसे खर्च करता रहेगा, उसी ने जीतू को चारों खाने चित कर दिया और आज सूरत के बाद इंदौर की बात चल रही है कि कैसे कांग्रेस बुरी तरह मात खा गई. जब से टिकट मिली देवेंद्र जैसे हजारों समर्पित कांग्रेसी जुट गए थे कि जीत न भी पाएं तो कांग्रेस की साख के लिए ही कुछ तो वोट आ जाएं.नामांकन के समय से लेकर जब तक अक्षय ने कांग्रेसियों के साथ प्रचार किया तब तक ये कांग्रेसी पूरे तन मन से लगे हुए थे और धन खर्च करने की बारी अक्षय की थी जो उन्होंने करना ही नहीं था. निकालने वाले इसमें भाजपा की खामियां निकाल सकते हैं कि कैसे एक पुराने मामले में बम पर 307 की धारा बढ़ गई और कैसे वे दबाव में आ गए लेकिन फिर वही सवाल कि क्या कांग्रेस में एक भी ऐसा चेहरा नहीं बचा था जिसके इतिहास में ऐसा कुछ न हो जिससे दबाव जैसा कोई मामला ही न खड़ा हो सके? गौर से देखें ताे पाएंगे कि यह गलत लोगों को आगे बढ़ाने और पैसे को अहमियत देने की कांग्रेसी नीति की हार है. सुमित्रा ताई के समय से हम देख रहे हैं कि पैसों की थैली के आगे कांग्रेस टिकट कैसे बिक जाती है और नतीजे हमें यह भी बताते हैं कि पैसों का भरपूर खर्च भी इस सीट से लोकसभा में कांग्रेस को नहीं पहुंचा पाता वरना याद कीजिए सत्य नारायण पटेल या अशोक पाटनी ने पेसा खर्च करने में कोई कमी रखी थी क्या. यदि इस बार कांग्रेस सबक ले लेती और तय कर लेती कि इस बार जूझने वाले नेता को ही टिकट देंगे भले पार्टी फंड से उसका चुनाव खर्च चलाना पड़े तो हालात ही कुछ और होते लेकिन ऐसा होता तब जब तय किया जाता, विश्लेषण किया जाता, देखा जाता कि कौन सच में कांग्रेसी हे और ककसने सिर्फ रंगा हुआ चोला पहन रखा है. इतनी समझ और इतना विश्लेषण कर पाने की उम्मीद यदि आप जीतू पटवारी से करते हें तो यह बेमानी है क्योंकि उन्होंने तो तय कर रखा है कि वे भाजपा से ज्यादा ताकत तो कांग्रेसी विरोधियों को निपटाने में ही लगाएंगे. अब राहुल गांधी का वह पत्र उन्हें मुंह चिढ़ाएगा जिसमें राहुल ने उनके ‘अच्छे’ काम की तारीफ की है क्योंकि यह अच्छे काम का प्रमाणपत्र तो अक्षय बम के रमेश मेंदोला के साथ कलेक्टर ऑफिस में घुसने से शुरु होता है और बाहर आकर कैलाश विजयवर्गीय की गाड़ी से भाजपा कार्यालय पर खत्म होता है. कांग्रेस के लिए फिलहाल तो सभी जगह वैसे ही ताले हैं जैसे आज सुबह शहर कांग्रेस अध्यक्ष को अक्षय बम के घर पर लगे हुए मिले थे.