September 8, 2025
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Germany एक निर्णय से बदल गई पूरी डेमोग्राफी

एंजेला मर्केल ने 2015 में शरणार्थियों के लिए खोला देश अब लाखों शरणार्थियों से परेशान है जर्मनी

जर्मनी को पहले और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय दुनिया के बेताज बादशाह माना जाता था. यूरोप की एक बड़ी ताकत रहे इस देश में पिछले एक दशक में भारी बदलाव आया है. जर्मनी में इस्लाम मानने वालों की आबादी अप्रत्याशित रुप से बढ़ी है जिसमें शरणार्थियों की संख्या तो चौंकाने वाली है. चांसलर के तौर पर जब यहां एंजेला मर्केल थीं तब 2015 में यह निर्णय लिया गया था कि सीरिया, अफगानिस्तान और इराक
जैसे युद्धग्रस्त और अस्थिर देशों के शरणार्थियों के लिए जर्मनी को शरणस्थली बना दिया जाए.इसे तब तो स्वागत संस्कृति बताया गया और उन देशों ने तो इसकी तारीफ की है जिनका सिरदर्द जर्मनी अपनी तरफ बुला रहा था बल्कि उन देशों ने भी एंजेला की तारीफ की जो जर्मनी को शरणार्थियों की बाए़ में डूबते देखना चाहते थे. इस बात को एक दशक ही हुआ है और जर्मनी सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर बुरी तरह बिखरता नजर आ रहा है. सीरिया, अफगानिस्तान और इराक ही नहीं कई दूसरे देशों से भी शरणार्थी जर्मनी में लाखों की संख्या में पहुंच गए क्योंकि उन्हें यूरोप की समृद्धि तो पता ही थी और स्थिर व समृद्ध जर्मनी उन्हें सुनहरा अवसर भी दे ही रहा था. इस नीति के आने के अगले एक साल में 11.64 लाख लोगों ने जर्मनी से शरण मांगी. अब हालत यह है कि जर्मनी में डेमोग्राफी बदलने की दर सबसे ज्यादा है और इस बात का असर खुद जर्मनी के साथ पूरे यूरोप पर पड़ रहा है. ईसाई बहुल रहे जर्मनी को अब यह चिंता सता रही है कि जल्द ही ये हालात भी बदलने वाले हैं और शरणार्थियों द्वारा लूटपाट ही नहीं महिलाओं और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं की दर भी तेजी से बढ़ रही है और इस सारी गड़बड़ की धुरी रहीं एंजेला तो सत्ता से बाहर होकर सारी जिम्मेदारियों से बरी हो चुकी हैं.