फैटी लिवर पर हुई सीएमई, विशेषज्ञों ने की चर्चा
ओबेसिटी और टाइप 2 डायबिटीज के कारण हो सकती है फैटी लिवर की समस्या
लिवर शरीर में डाइजेशन, मेटाबोलिज्म, हॉर्माेन बनाने और टॉक्सिन्स हटाने जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाता है लेकिन शरीर के इस अवयव की तरफ हमारा ध्यान कम ही जाता है और इसी अनदेखी के चलते कई बार फैटी लिवर जैसी समस्याओं का शिकार हो जाता है. फैटी लिवर का परिणाम लिवर सिरोसिस और लिवर फेल होने तक पहुंच सकता है. डॉक्टरों को फैटी लिवर के संबंध में नई जानकारियां देने के उद्देश्य से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और गट क्लब इंदौर द्वारा सयाजी होटल इंदौर में 14 अप्रैल को सीएमई का आयोजन किया गया. सीएमई गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, हेपेटोलॉजिस्ट, प्राथमिक चिकित्सकों और फैटी लिवर रोग के क्षेत्र में रुचि रखने वाले अन्य चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभदायक रहा. इस कार्यक्रम में फैटी लिवर का वैश्विक और भारतीय परिदृश्य, इसके कारक जैसे मोटापा, फूड हेबिट्स के बारे में बताया गया. फैटी लिवर के विभिन्न चरण, समय पर निदान, सारोग्लिटाज़ार, रेस्मेटिरोम जैसे विषयों पर भी इस दौरान चर्चा की गई.
गट क्लब के प्रेसिडेंट गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. हरिप्रसाद यादव ने कहा कि मोटापा और फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ाने के कई कारक हैं, जिनमें बढ़ा हुआ वजन, टाइप 2 डायबिटीज, हाइपरटेंशन, जेनेटिकल हिस्ट्री शामिल है. इससे बचने के लिए वजन नियंत्रित रखना सबसे ज्यादा जरुरी है. डायबिटीज और हाइपरटेंशन को काबू में रखना, संतुलित आहार लेना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और नियमित व्यायाम भी इससे बचने के बेहतर उपाय हैं.
आईएमए के प्रेसिडेंट डॉ. नरेन्द्र पाटीदार ने बताया कि मोटापे के कारण शरीर में बहुत ज्यादा मात्रा में फैट बनने लगता है, जो लिवर में भी जमा हो सकता है. ऐसे फैटी लिवर दो प्रकार होते हैं, एल्कोहॉलिक और नॉन-एल्कोहॉलिक. इस जटिल बीमारी के नवीनतम निदान और उपचार विकल्पों पर भी इसमें चर्चा हुई. सीएमई में डॉ. अमित सिंह बर्फा, डॉ. एके पंचोलिया, डॉ. अश्मित चौधरी, डॉ. अजय जैन, डॉ. रवि राठी, डॉ. टी नूर, डॉ. वीपी पांडे, डॉ. सुबोध बाँझल ने विशेष भूमिका निभाई.