Dalai Lama की बात से चीन हुआ नाराज
दलाई लामा संस्था मेरे बाद भी जारी रहेगी और उत्ताधिकारी चुनने में चीन का कोई दखल नहीं होगा
धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में 2 जुलाई से 15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन में दलाई लामा ने एक ऐलान किया और अब इससे चीन गुस्से में है, दरअसल दलाई लामा के कहा कि उनके न रहने पर उत्तराधिकारी तिब्बती बौद्ध परंपराओं से चुना जाएगा. चीन इसमें अपनी भूमिका चाहता था और उसका कहना है कि नए दलाई लामा को चुनने में उसकी भूमिका और स्वीकृति जरुरी है. जबकि वर्तमान दलाई लामा ने साफ कहा है कि नए दलाई लामा को चुनने में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी और चीन की दखलंदाजी की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी. तीन दिन चलने वाले धार्मिक सम्मेलन के पहले ही दिन दलाई लामा के इस बयान ने चीन को नाराज कर दिया है. चीन की तरफ से पहले ही कहा गया है कि 14 वें यानी वर्तमान दलाई लामा की मृत्यु पर चीनी सरकार अपनी तरफ से 15 वें दलाई लामा की नियुक्ति कर देगा. दलाई लामा का कहना है कि उनके उत्तराधिकारी को ‘गादेन फोडंग ट्रस्ट’ करेगा, इस प्रक्रिया काो पूरा करने का अधिकार उन्होंने इस ट्रस्ट को ही सौंपा है.
अपने 90 वें जन्मदिन से पहले दलाई लामा के कहा कि मैंने सभी से इस बारे में राय ली थी कि मेरे बाद दलाई लामा संस्था को कायम रखा जाए या नहीं और अब मैं घोषणा करता हूं कि मेरे बाद भी यह संस्था कायम रहेगी और नए दलाई लामा को खोजने की पूरी प्रक्रिया मेरे ऑफिस से जुड़े गादेन ट्रस्ट की होगी, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि नए दलाई लामा का जन्म ‘आजाद देश’ में तय है. बौद्धों और दलाई लामा को निकालकर 1950 के दशक में कब्जा करने वाले चीन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस नियुक्ति को चीनी सरकार से अनुमति लेनी ही होगी. चीन ने इस बयान में यह भी जोड़ा है कि नए दलाई लामा को सिर्फ चीन में ही खोजा जाएगा, चीनी सरकार का कहना है कि दलाई लामा के पुनर्जन्म वाली बात स्वर्ण कलश से पर्ची निकालकर होना चाहिए जो चीन से भी अनुमोदित हो. वर्तमान दलाई लामा 1935 में जन्मे और 1937 में उन्हें दलाई लामा का पुर्नजन्म मान लिया गया था, चीन के तिब्बत पर 1950 में कब्जा जमाने के बाद वे हजारों समर्थकों के साथ तिब्बत से भारत आ गए थे. वे तिब्बत को चीन का हिस्सा नहीं मानते हैं और चीन की सरकार उन्हें अपना दुश्मन मानती है क्योंकि चीन दशकों से तिब्बत को अपना हिस्सा बता रहा है, दलाई के बाद बौद्धों में दूसरे नंबर की पदवी पंचेन लामा होती है और चीन ने चुने गए पंचेन लामा को गायब कर नकली पंचेन लामा को तो खड़ा कर ही दिया है, अब वह यही काम दलाई लामा के मामले में करना चाहता है.
क्यों अहम है यह मामला
अब तक के सभी 14 दलाई लामा बोधिसत्व के अवतार माने जाते हैं और बौद्ध धर्म में सबसे बड़े पद पर होते हैं. इन्हें खोजने की प्रक्रिया सपने या संकेतों पर आधारित होती है. एक दलाई लामा की मृत्यु के शोक दिवस खत्म होने के बाद संकेतों के आधार पर कुछ बच्चे चयनित होते हैं. मृत दलाई लामा से जुड़े तथ्यों और कई कसौटियों पर खरे उतरने के बाद नए दलाई लामा के आगमन की घोषणा की जाती है. 13वें दलाई लामा थुप्तेन ग्यात्सो की मृत्यु के बाद मिले संकेतों के आधार पर और एक वरिष्ठ को आए सपने के आधार पर 14 वें दलाई लामा का चयन हुआ था.