April 19, 2025
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Chess 18 साल के प्रागनंदा ने कार्लसन को बुरी तरह हराया

इतनी छोटी उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि पाने वाले पहले
भारतीय चेस ग्रैंडमास्टर प्रागनंदा रमेशबाबू ने विश्व के नम्बर वन चेस ग्रैंड मास्टर मैग्नस कार्लसन को क्लासिक शतरंज खेल में जबरदस्त मात दे दी. 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर ने यह कारनामा कार्लसन के ही घर यानी नॉर्वे में किया. इसी के साथ भारतीय शतरंज खिलाड़ी प्रग्गानंधा नॉर्वे चेस के इस टूर्नामेंट में नम्बर एक पर पहुँच गए हैं. नॉर्वे में 18 वर्षीय प्रग्गानंधा का मुकाबला लम्बे समय से विश्व नम्बर एक शतरंज ग्रैंडमास्टर मैग्नस कार्लसन से हुआ। यह एक क्लासिक शतरंज मुकाबला था जिसमें खिलाड़ियों को अपनी चालें चलने और सोचने का अधिक समय मिलता है।
कार्लसन को चतुराई भारी पड़ी
इस मुकाबले को कार्लसन ने शुरुआत से ही खतरनाक तरीके से खेलना चाहा। उन्होंने अपना खेल आक्रमण पर आधारित रखा ताकि दबाव में आकर प्रागनंदा गलत चालें चलें और कार्लसन को बढ़त मिल सके. यही कार्लसन के लिए भारी पड़ गया. प्रागनंदा ने इस का जवाब संयमित खेल से दिया.
कार्लसन के आक्रामक खेल को समझते हुए भारतीय ग्रैंडमास्टर ने उन पर दबाव बनाना चालू कर दिया. उन्होंने इसके लिए अधिक समय लिया. कार्लसन ने कम समय लगा कर चालें चली जबकि प्रागनंदा ने अपनी चालें सोच समझ कर चलीं. लगभग 18 चालों के बाद प्रागनंदा को अपनी जीत दिखने लगी. इस खेल के दौरान कार्लसन ने स्वीकार किया कि वह काफी खतरनाक तरीके से खेले जिससे उनकी हार हुई. उधर प्रग्गानंधा ने जीत के बाद भी इस खेल में की गई कुछ गलतियों को इंगित किया और बताया कि वह आगे इन्हें सुधारेंगे. प्रागनंदा इसी खेल के साथ नॉर्वे शतरंज के तीसरे चरण के बाद रैंकिंग में सबसे ऊपर पहुँच गए.

इसी टूर्नामेंट में उनकी बहन वैशाली रमेशबाबू ने महिलाओं के खेल में ड्रा करवाने में सफल रहीं। वह भी महिलाओं की रैंकिंग में वर्तमान में शीर्ष पर हैं। दोनों भाई बहनों की यह सफलता शतरंज के भारतीय फैन्स के लिए काफी सुखद रही।

प्रग्गानंधा भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर हैं और अभी मात्र 18 वर्ष के हैं। उन्होंने इस आयु में शतरंज की दुनिया में काफी नाम कमाया है। उन्होंने काफी छोटी आयु से शतरंज खेलना चालू कर दिया था। चेन्नई में पले बढे प्रग्गानंधा के पिता एक बैंक कर्मचारी हैं जबकि उनकी माता नागालक्ष्मी दोनों के करियर को आगे बढ़ाने में मदद कर रही थीं। उन्होंने इससे पहले अंडर-8 और अंडर 15 चैंपियनशिप भी जीते हैं। प्रग्गानंधा भारत की तरफ से शतरंज ओलंपियाड में भी हिस्सा ले चुके हैं। यहाँ उनकी टीम को कांस्य पदक हासिल हुआ था।