इंदौर में मौसम ने करवट क्यों बदली?
– श्रीमती माधवी तारे
– भारी गर्मी में सूरज के ताप से हैरान गौरेया जैसे बेसुध हो कर गिर जाती है. वैसे ही आज इंसानों की हालत है. कुछ साल पहले का हरे-भरे बैंगलोर का मौसम खुशमिज़ाज था. वृंदावन गार्डन देखकर मन खुश हुआ था लेकिन आज वही बैंगलोर पानी की बूंद-बूंद के लिये तरस रहा है. अब इंदौर की भी हालत ऐसी ही हो रही है.
पिछले 60-65 साल में आज जैसी गर्मी देखने को नहीं मिली है. सौ-सौ साल पुराने पेड़ सड़क के नाम पर कुरबान हो रहे हैं और नए लगाए नहीं जा रहे जबकि पूरे के पूरे पेड़ दूसरी जगह लगाने की तकनीक भी आज उपलब्ध है. फिर भी बगीचे उखाड़ कर अट्टालिकाएं रोपी जा रही हैं. इंसान भी चिड़ियों की तरह चलते-चलते ना टपके इसके लिये हरियाली चाहिये. सीमेंट कांक्रीट के रास्तों के आसपास नालियां नहीं हैं और अगर हैं तो पानी वहां से प्रवाहित हो जमीन में नहीं जाता, बह जाता है.
बहुमंजिला इमारतें अपनी प्यास नहीं बुझा सकती, पैसा भूख-प्यास नहीं मिटा नहीं सकता. कुछ दिनों से इंदौर में भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला निर्माण होते देखकर, असह्य गर्मी में तड़पते हुए जी घबरा गया है. नगर के विकास में अंधाधुंध अनुकरण और लालच हमें अपनी ही मौत की तरफ ले जा रहा है ये हमें कब समझ आएगा…
श्रीमती माधवी तारे
इंदौर, मध्यप्रदेश
भ्रमण ध्वनि 9993964643