August 2, 2025
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Assam के मोइदम Unesco की साइट में क्यों हैं

असम मोइदम में अहोम राजवंश के टीले वाले जिन कब्रस्तानों को यूनेस्को वर्ल्ड हेररटेज साइट्स में जोड़ लिया गया है, इस तरह यह मोइदम भारत की 43वीं हेरिटेज साइट बन गई है जो यूनेस्को ने अपनी सूची में शामिल कर ली है.

वर्ल्ड हेरिटेज काउंसिल के 46वें सेशन में यह घोषणा की गई.पहली बार नॉर्थ ईस्ट की कोई ऐसी महत्वपूर्ण जगह इस लिस्ट में जगह बनाई है. 2014 में यूनेस्को टेंपरेरी लिस्ट में मोइदम को लिया गया था और तभी से इस तरह की घोषणा का इंतजार किया जा रहा था. मोइदम अहोम राजाओं, रानियों और रईसों की कब्रें होती हैं. दरअसल मोइदम में मोई का मतलब कब्र में दफनाने से निकलता है और डैम या दम का अर्थमृतक की आत्मा. मोइदम यूं तो असम के सभी जिलों में मिल सकते हैं, लेकिन चराईदेव में कई राजघरानों का कब्रिस्तान था इसलिए इसका विशेष महत्व माना जाता है. चराईदेव में अहोम के पहले राजा चौ-लुंग सिउ-का-फा सहित कई राजा रानियों के कब्रस्तान हैं. असम पर ताई-अहोम राजवंश ने लगभग 700 साल शासन किया और उनका शासन काल 1228 और 1826 के बीच माना जाता है. चराईदेव में 386 मोइदम में से 90 शाही कब्रें मौजूद हैं.