Pune Chartered Accountant की मौत से सोशल मीडिया पर बहस
एक मौत से उठी पूरे वर्किंग क्लास के मामले पर चर्चा
महाराष्ट्र के पुणे की एक 26 साल की युवती की मौत ने न सिर्फ अंतर राष्ट्रीय कंपनी अर्न्स्ट एंड यंग को मुश्किल में डाल दया है बल्कि सोशल मीडिया पर काम के घंटों को लेकर बहस भी छेड़ दी है. दरअसल यह कर्मी इस कंपनी में चार्टर्ड अकाउंटेंट बतौर काम करती थी और उसने काम के दबाव के चलते ही सुसाइड कर लिया. एना सेबेस्टियन नाम की इस लड़की की मां ने टॉप मैनेजंमेंट को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि उनकी बेटी ने काम के तनाव में जान दी है. अब केंद्र सरकार का कहना है कि हमने मामले का संज्ञान लिया है और इस पर उचित कार्रवाई होगी.
मैंनेजमेंट को लिए गए इस कर्मी की मां के पत्र पर सोशल मीडिया पर बहस चल पड़ी है कि आखिर काम के घंटे कितने होने चाहिए और काम के तनाव को लेकर किसकी कितनी जिम्मेदारी मानी जानी चाहिए. जहां अधिसंख्या यूजर्स इस पक्ष में हैं कि दफ्तरों में काम का माहौल बेहतर होना चाहिए और काम के घंटे भी वर्क लाइफ बैलेंस के मुताबिक होने चाहिए वहीं कुछ लोग नारायणमूर्ति के प्रति सप्ताह 70 घंटे काम करने जैसे बयानों को आगे कर रहे हैं. कुछ का सुझाव है कि दबाव झेलने की क्षमता पर काम विभाजित होना चाहिए जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि इससे तो अच्छी दबाव सहन करने की क्षमता वालों के लिए ज्यादा मुश्किल खड़ी हो जाएगी. हां, इस बात पर लगभग सभी सहमत हैं कि ईवाई जैसी कंपनियों की कार्यशैली में सुधार होना चाहिए. कुछ यूजर्स का कहना है कि देर तक काम करने की और अधिक काम करने को कॉरपोरेट्स ग्लोरीफाय करता है जबकि यह संतुलित होना जरुरी है.