June 21, 2025
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Andaz Apna Apna- ‘कैसे कैसे आदमी पाल रखे हैं तूने तेजा’?

आदित्य पांडे

लोकसभा चुनावों की जो अलग अलग चरणों की प्रक्रिया चल रही है उसमें कितने किरदार और कितने डायलॉग तीस साल पहले आई हिंदी फिल्म ‘अंदाज अपना अपना’ की याद दिलाते हैं? सूरत में जिस तरह कांग्रेस प्रत्याशी के प्रस्तावक ही गयाब हो गए और भाजपा को वाॅकओवर की तरह जीत मिल गई तब क्या आपको फिल्म का वह डायलॉग याद नहीं आया ‘कैसे कैसे लोग पाल रखे हैं तूने तेजा’? कांग्रेसी बड़े उत्साह से कोई मुद्दा वैसे ही लाते हैं जैसे शरबत, वास्कोडिगामा की बंदूक से लेकर बम से टीलू को उड़ाने की कोशिश करते पात्र बार बार ‘पिलान’ करते हैं. ‘हायला, सीता और गीता’ नहीं ‘राम और श्याम’ वाली हालत हर मतदाता की तब हो जाती है जब उसे पता चलता है कि आधी कांग्रेस भाजपा में समा चुकी है और छिंदवाड़ा में तो महापौर आज सुबह कांग्रेस में होते हैं, शाम तक भाजपा में जाते हैं और अगली सुबह फिर कांग्रेसी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करते नजर आ जाते हैं. मतदाता के लिए कितना मुश्किल हो जाता है. हद यह कि जब पीएम बनने की बात चले तो इंडी का हर धड़ा आकर कहता है ‘तेजा मैं हूं, मार्क इधर है’ जरा याद कीजिए कि जब इंडी वालों का सम्मेलन होता है तो वे इस तरह हाथ मिलाते हैं जैसे कह रहे हैं ‘दो दोस्त एक ही प्याले में चाय पिएंगे’ लेकिन जहां अपने अपने राज्य की बात आए कहते हैं ‘भाड़ में गई तेरी दोस्ती’ केरल में वाम मोर्चा राहुल के डीएनए टेस्ट की मांग करता है लेकिन इंडी के घटक दोनों हैं, ऐसे में अंदाज अपना अपना के कितने सीन आपकी आंखों के सामने से घूम जाते हैं? राहुल एक अच्छा मुद्दा उठा दें तो पूरा विपक्ष एक साथ कहता है ‘शाबाश मेरे चीते’ लेकिन जब ‘सवाल एक जवाब दो, एक एक सवाल के दो दो जवाब’ वाली स्थिति बनती है तो कोई हौसला बढ़ाने तक नहीं आता उनका. इधर मंच से फिसलती जुबानों की ‘गलती से मिस्टेक’ जारी हैं और उधर कुछ पार्टियों का एक ही नारा है ‘आया हूं तो कुछ तो लेकर जाऊंगा, खानदानी चोर हूं मैं’ शायद ऐसी बात से आप लालू एंड कंपनी को जोड़ सकें लेकिन और भी ऐसे चरित्र हैं. इधर एक ‘डॉक्टर प्रेम खुराना’ भी मिलेंगे जो ‘इस धंधे में बहुत पुराना’ का अपना परिचय देते मिलेंगे और इन डॉक्टर साहब ने न जाने कितनों के लिए ‘मेथी के लड्‌डू से लेकर करेले के जूस’ तक की व्यवस्था कर रखी है. सारे विपक्ष को अकेले ही निपटाने के लिए इन्होंने सिर्फ कड़वी डाइट ही नहीं तय की हैं बल्कि बेचारे टीलू को डंडों के डोज भी तय कर दिए हैं. भाजपा के हर छोटे बड़े नेता ने एक डायलॉग रट लिया है कि ‘मैं तो कहता हूं आप पुरुष ही नहीं हैं….महापुरुष हैं, महापुरुष’ भाजपा में टिके रहना है तो यह वाक्य तो रटा हुआ होना ही चाहिए. हिमंता बिस्वा शर्मा ही नहीं पी विजयन भी राहुल को बार बार अमूल बेबी बोलते हैं और यह वैसा ही है जैसे कोई कहे ‘वो हमें टीले पर मिल गया था इसलिए हमने उसका नाम टीलू रख दिया’ अब जरा वह दृश्य याद कीजिए जिसमें डॉक्टर प्रेशर में हैं और करिश्मा उर्फ रवीना उन्हें बार बार अंगूर ऑफर करती हैं. चुनावों की संभावनाओं को लेकर विपक्ष इसी तरह प्रेशर में है और बीच बीच में कोई झूठा सर्वे उन्हें अंगूर दिखा देता है. सत्तारुढ़ में बैठी पार्टी बड़े मजे से इंडी से कह रही है कि ‘पहले ही टूटा फूटा है, एक मारुंगा तो बिखर जाएगा’ और विपक्ष है कि उम्मीद लगाए बैठा है हमारे अलावा कौन बन सकता है ‘ब्रेड का बादशाह और ऑमलेट का राजा – बजाज – हमारा बजाज! इतने सारे खेल और सीन के बीच जब सब एक दूसरे को गलत और लुटेरा बताने में लगे हों तब आम मतदाता का एक ही सवाल है ‘ये तेजा तेजा क्या है, ये तेजा तेजा’