30 साल से ज्यादा पुराने 62 हजार अदालती मामले
पांच करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं विभिन्न अदालतों में
हमारी न्याय व्यवस्था को समझना हो तो दो आंकड़े ही पूरी कहानी कह देने में सक्षम हैं. पहला तो यह कि देश की अलग अलग अदालतों के लंबित मामले एक संख्या में देखें तो यह पांच करोड़ से ज्यादा हो जाते हैं यानी हर मामले के दो पक्षों को ही मान लें तो इस करोड़ से ज्यादा लोग न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं और दूसरा आंकड़ा यह है कि विभिन्न उच्च न्यायालयों (हाइकोर्ट्स) में लगभग 62 हजार ऐसे मामले चल रहे हैं जिनकी फाइलों को अदालतों में घिसटते 30 वर्ष से ज्यादा का समय हो चुका है.
तीन मामले तो आजादी के पांच वर्ष बाद से अब तक लटके हुए हैं यानी 1952 से निपटान की प्रतीक्षा में हैं. 1954 से फैसले का इंतजार कर रहे चार मामले हैं और 1955 से चल रहे ऐसे नौ मामले हैं जिनमें आज तक फैसला नहीं आ सका है. कुल जमा में देखा जाए तो हाइकोर्ट्स में 58.59 लाख मामले लंबित हैं, जिनमें 42.64 लाख दीवानी और 15.94 लाख फौजदारी वगैरह के हैं. एनजेडीजी के आंकड़े बताते हैं कि उच्च न्यायालयों में लगभग 2.45 लाख मामले ऐसे हैं जो 20 से 30 वर्ष से अपने फैसले की प्रतीक्षा में हैं. कानून मंत्रालय का एक विश्लेषण कहता है कि एक चौथाई से ज्यादा मामले ऐस होते हैं जो एक बार में ही बंद किये जा सकते हैं लेकिन फिर भी यदि 62 हजार मामले तीस साल से फैसले तक नहीं पहुंच सके हैं तो मामला गंभीर तो है.