Supreme Court ने कहा बाल विवाह रोकने में पर्सनल लॉ बेअसर
हर किसी पर लागू होगा बाल विवाह निषेध अधिनियम
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को सभी व्यक्तिगत कानूनों से ऊपर रखने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे किसी व्यक्तिगत कानून से सीमित नहीं होगा पीठ ने स्पष्ट किया कि तय उम्र से पहले विवाह किए जाने से जीवनसाथी के चयन का अधिकार प्रभावित होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बालविवाह के चलते इच्छानुसार जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता समाप्त होती है. न्यायालय ने अधिकारियों को बाल विवाह की रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान देने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह रोकने के लिए दिशा-निर्देश देते हुए कानून का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की बात कही. इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि सभी समुदायों में इसे समान रूप से लागू किया जाए. यह फैसला समाज में भी बड़ा बदलाव ला सकता है. बाल विवाह रुकने से बच्चों के भविष्य को भी सुरक्षित करने में मदद मिलेगी. दरअसल बाल विवाह न केवल एक कानूनी समस्या है, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक जिम्मेदारियों का भी विषय है.