Supreme Court ने जेल मेन्युअल बदलने को कहा
नहीं काम कर सकेगी जाति आधारित व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट ने जेलों से अगले तीन महीने में अपने मेन्युअल बदल डालने को कहा है और यह तब हुआ जबकि एक पत्रकार ने मामला शीर्ष अदालत तक पहुंचाया कि जेलों में आज भी जाति आधारित काम सौंपने की प्रथा चल रही है.
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को इस बारे में निर्देश देते हुए कहा है कि वे जेल नियमावली में जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देने वाले प्रावधानों को खत्म करें. इस बारे में याचिका दायर करते हुए कहा गया था कि जेल मेन्युअल में विभिन्न प्रावधानों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 17, 21 और 23 का उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी गई थी. यह तर्क दिया गया था कि देश की जेलों में शारीरिक श्रम के विभाजन, बैरकों के पृथक्करण और गैर-अधिसूचित जनजातियों और आदतन अपराधियों से संबंधित कैदियों से भेदभाव वाले प्रावधानों में जाति-आधारित भेदभाव जारी है. सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे प्रावधानों को असंवैधानिक मानते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तीन महीने का समय देते हुए कहा कि इस तय समय सीमा में नियमों में संशोधन कर लिया जाए.