Pune Land Issue पर भाजपा शिवसेना महायुति में दरार के संकेत
पुणे का भूमि विवाद पीएम को चिट्ठी और महायुति में हलचल
महाराष्ट्र के पुणे शहर की मॉडल कॉलोनी की सेठ हीराचंद नेमचंद जैन होस्टल वाली जमीन के विवादास्पद सौदे का मामला यूं तो महाराष्ट्र की युति सरकार में धीरे धीरे आंच पकड़ रहा था लेकिन शिंदे गुट के नेता ने सीधे पीएम को पत्र लिखकर मामले को इतना उलझा दिया कि केंद्रीय मंत्री और पुणे से भाजपा सांसद मुरलीधर मोहोल मुश्किल में आ गए. अब मामले में शखुद एकनाथ शिंदे सामने आए हैं और कहा कि महायुति में कोई दरार नहीं है और इस जमीन वाले मामले को भी पूरी तरह समझा दिया गया है लेकिन पीएम को लिखे पत्र के राजनीतिक हलचल चरम पर है जिससे महायुति में मतभेद सामने आ रहे हैं.
एकनाथ शिंदे गुट के नेता धांगेकर ने पीएम को लिखे पत्र में बताया था कि मुरलीधर मोहोल ने मंत्री पद का इस्तेमाल करते हुए इस जमीन सौदे में दखल दिया जिसमें कानूनी प्रक्रियाएं पूरी नहीं हुईं. शैक्षणिक और धार्मिक उद्देश्य की इस जमीन को निजी निर्माण कंपनी को बेचने का आरोप लगाते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग किए जाने के बाद से भाजपा और एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना में दरार नजर आने लगी है हालांकि उपमुख्यमंत्री शिंदे ने जैन समाज की मांगों के समाधान निकलने और धांगेकर को पूरी जानकारी दे दिए जाने की बात कही है. उपलब्ध जानकारी के आधार पर कहा, लेकिन शिंदे ने कहा कि मामला सुलझ चुका है और हमें विपक्ष को कोई हमें निशाना बनाने का मौका नहीं देना चाहिए. इस मामले में पुणे सांसद और केंद्र में मंत्री मुरलीधर मोहोल का कहना है कि वे चर्चा में आई कंपनी गोखले कंस्ट्रक्शन से काफी पहले अलग हो चुके थे. मोहोल का कहना है कि उनकी इस सौदे में कोई भूमिका नहीं है. इस बीच चैरिटी कमिश्नर को जांच का आदेश दिया गया है और उन्होंने ट्रस्ट और गोखले फर्म से यथास्थिति बनाए रखने को कहा है. यह जमीन लगभग 3.5 एकड़ है और इसकी बिक्री को लेकर जैन समाज भी आक्रोशित है.
