Visa नियमों को तोड़ने वालों से सहानुभूति क्यों है
आदित्य पांडे
फ़्रेंचेस्का ऑर्सेनी को वापस भेजना गलत कैसे हुआ?
ब्रिटिश प्रोफेसर फ़्रेंचेस्का ऑर्सेनी भारत आई लेकिन उन्हें एयरपोर्ट से ही वापसी की फ्लाइट में बैठा दिया गया और अब इस एक पूरा इको सिस्टम यह बताने पर तुल गया है कि यह तो बोलने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध है. मजे की बात यह है कि इन पन्ने रंगने वालों ने एक बार भी यह समझने की जहमत नहीं उठाई कि इस तरह से किसी को पावस भेजे जाने की वजह क्या रही होगी. दरअसल ऑर्सेनी भारत आ रही थीं टूरिस्ट वीजा पर और संबोधित करने वाली थीं अकादमिक आयोजन में भाषण वगैरह. यह साफ सीधी बात है कि यदि आप किसी कार्यक्रम के लिए आ रहे हैं तो उसके लिए अलग से वीजा मिलेगा और आप उससे इतर कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हो सकते वहीं पर्यटन के वीजा पर तो भाषणबाजी वगैरह करने की छूट कोई भी देश किसी दूसरे देश के नागरिक को नहीं देता है. ऑर्सेनी तो पहले भी कई बार वीजा नियमों के उल्लंघन की दोषी पाई गई हैं और उनका वीजा पिछले साल ही निरस्त किया जा चुका है, ऐसे में ऑर्सेनी का भारत में घुसने की कोशिश करना और फिर भगाए जाने पर लोगों को भड़काने वाली सोशल मीडिया पोस्ट करना यह साबित करता है कि उनके भारत में आने के इरादे अच्छे तो कतई नहीं थे. देश के अपमान के लिए हमेशा तत्पर गिद्धों को यह स्वर्णिम मौका लगा जहां भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीचा दिखाया जा सके और इस नैरेटिव को दुनिया के सामने रखा जा सके कि भारत में बोलने की आजादी खत्म होती जा रही है और इससे भी बड़ी बात यह है कि यही गिद्ध समूह हर पल सरकार से लेकर इसके हर कदम की आलोचना करने के लिए खुद को पूरी तरह न सिर्फ स्वतंत्र पाता है बलकि स्व नियंत्रध तक का ध्यान नहीं रखता है. जिसके भारत आने पर प्रतिबन्ध हो, जो वीज़ा नियमों के उल्लंघन का एकाधिक बार दोषी रहा हो जिसे हिंदी को बढ़ावा देने के नाम पर एक नैरेटिव गढ़ने का टास्क मिला हुआ हो उसको देश में आने से रोके जाने पर हंगामा कर रहे लोगों को गंभीरता से समझ जाइये क्योंकि ये लोग किसी भी स्तर पर जाकर भारत के प्रति दुर्भावना फैलाने में जुटे हैं और इस मामले में तो बात यह भी जोउ़ दी गई है कि आखिर वह एक स्त्री है इसलिए भी ऐसा नहीं किया जाना था.
हर देश में अकादमिक आयोजन की, ऑफिस के काम की, व्यापार की और पर्यटक वीजा की श्रेणी अलग होती है और नौकरी के लिए तो अलग है ही. आपको किसी देश में जाने का कारण बतलाना होता है. आप को हर वीजा के साथ जुड़ी शर्तों का पालन करना ही होता है यहां तक कि ठिकाना बदलने की सूचना तक देनी होती है. इमिग्रेशन ऑफिसर भी समझते हैं कि आप क्यों, कहां और कितने समय के लिए पहुंचे हैं, दिए पते ठिकाने और यात्रा के कारण को भी लेकर जाँच होती है और सब चाकचौबंद होने पर ही आप प्रवेश ले सकते हैं. कोई भी वीजा इस बात का लाईसेंस नहीं होता कि आप देश में, प्रवास के दौरान कहीं भी, कुछ भी कर सकेंगे. वीजा का दीगर कारणों से उपयोग करने पर दंड का भी प्रावधान है. यदि आप एक आयोजन के लिए तीन दिन के वीजा पर हैं तो चार दिन भी रुकने को गलत माना जाएगा. फ़्रेंचेस्का पर्यटक बतौर आकर भारत में आयोजनों, वर्कशॉप आदि में भाषण सहित कई कार्य करती रही हैं जिसकी पर्यटक वीजा पर अनुमति नहीं है,नियमों को बार बार तोड़ना और ज्यादा बड़ा अपराध है. इसी वजह से उन पर प्रतिबंध लगा था और इसके बाद भी वो दिल्ली एयरपोर्ट पहुँच गई. इमिग्रेशन पर रोके जाने पर उन्होंने भारत के खिलाफ लोगों को भड़काने की भी भरपूर कोशिश की. जहां तक फ़्रेंचेस्का के कंटेंट का सवाल है तो वह दशकों से भारत व भारतीय समाज को अपमानित करता हुआ ही रहा है. सुरक्षा सहित कई कारण हो सकते हैं जिनके चलते किसी को देश में रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है और इजाजत मिलने पर भी उसकी मेल मुलाकातों, बातों, फोटोग्राफी करने, जानकारियां साझा करने जैसी कई बातों पर सरकार को निगरानी रखना होती है और यह एक जिम्मेदार सरकार के कामों में शामिल है. ऐसे में यदि किसी महिला को एयरपोर्ट से उसके देश वापस भेजा गया है तो समझिए कि उसके पीछे के निहितार्थ होंगे वरना तो खुद सरकार बताती ही है कि वो विदेशी पर्यटकों को कितना मान देती है.
