Qatar में बात के बाद पाक-अफगान युद्धविराम लेकिन कब तक चलेगा
अफगानिस्तानियों को पाकिस्तान पर कतई भरोसा नहीं है और इसी के चलते युद्धविराम का ज्यादा चलना संभव नहीं लग रहा
कतर में हुई बातचीत के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने युद्धविराम पर सहमति तो जता दी है लेकिन सवाल यह है कि यह समझौता कितने समय टिकेगा. तुर्की ने एक सप्ताह से दोनों को बातचीत के साथ लड़ाई खत्म करने की बात कर रहा था. अब तक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच झड़पों में दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं. अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से बात कर घोषणा की कि अब दोनों तरफ से झड़पें बंद हो रही हैं. युद्धविराम के इस समझौते की स्थिरता पर सवाल इसकी घोषणा के साथ ही लगने लगे हैं. उधर पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियाँ और आंतरिक हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इस्लामाबाद आरोप लगा रहा है कि अफगानी हमले कर रहे हैं. वहीं तालिबान ने उल्टा पाकिस्तान पर आरोप लगाए हैं कि अफगानिस्तान में पाक सेना और सरकार गड़बड़ियां करा रही है. हालात तब और बिगड़े जब अफगानिस्तान के तीन क्लब लेवल क्रिकेट खिलाड़ियों की मौत पाकिस्तानी हवाई हमले में हो गई.
अफगानों का कहना है कि पिछले चार वर्षों में पाकिस्तान ने 1,200 बार सीमा उल्लंघन किया और 710 बार अफगान वायुक्षेत्र में घुसा. पाकिस्तान ने इस सबसे इंकार करते हुए कहा है कि उसका इन सबमें कुछ लेना देना नहीं है. विश्लेषकों का मानना है कि जब तक पाकिस्तान वाकई गड़बड़ नहीं रोकता तब तक समझौते का लंबे समय तक टिकना मुश्किल ही है. तालिबान सरकार कह चुकी है कि वह अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगी और पाकिस्तान की घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं पाकिस्तान की सेना पर नियंत्रण की कमी और राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी इस समझौते को कमजोर बना रही है. दोहा में हुआ यह युद्धविराम समझौता फिलहाल एक अस्थायी समाधान है. दोनों देशों में अविश्वास की खाई बहुत बड़ी है. अगर पाकिस्तान सैन्य गतिविधियों रोककर अफगानिस्तान की संप्रभुता का सम्मान नहीं करेगा तो युद्धविराम का जल्द ही टूटना तय सा है.