Karnataka सरकार ने बताया विश्व रिकॉर्ड, देने वाली कंपनी है ही नहीं
सिद़धारमैया बताना चाह रहे थे कि उनकी योजना को विश्व भर में मान्यता मिल रही लेकिन अब हो रही फजीहत
कर्नाटक सरकार की शक्ति योजना के विश्व रिकॉर्ड वाली मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की घोषणा अब सवालों के दायरे में है. सिद्धा ने दावा किया था कि उनकी सरकार की चलाई महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा वाली योजना को ‘लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ ने प्रमाणित कर दिया है कि इससे लाभान्वितों की संख्या से विश्व रिकॉर्ड बना है. अब इस प्रमाणन की विश्वसनीयता पर सवाल हैं क्योंकि जिस एलबीडब्ल्यूआर नामक संस्था ने यह रिकॉर्ड प्रमाणित किया है, वह एक निजी कंपनी थी जो जुलाई 2025 से ही यूके के नियमों के अनुसार बंद हो चुकी है जबकि प्रामणपत्रों में अक्टूबर की तारीख डली हुई हैं यानी पहली बात तो ये प्रमाणपत्र किसी मान्यता प्राप्त संस्था के नहीं हैंऔर दूसरा यह कि सिर्फ प्रचार के ये बनाए गए जबकि देने वाली कंपनी को ऐसा कुछ जारी करने का अधिकार ही नहीं था.
सिद्धारमैया ने अपनी पोस्ट को सोशल मीडिया से हटा तो लिया लेकिन इससे बात खत्म होने की जगह ज्यादा उलझनी ही थी. विपक्ष का कहना है कि फर्जी रिकॉर्ड और प्रमाणपत्रों से कर्नाटक सरकार शाबासी लेने की कोशिश में जमकर पैसा खर्च कर रही है. शक्ति योजना की वित्तीय पारदर्शिता और व्यावहारिकता पर विपक्ष पहले भी सवाल उठाता रहा है क्योंकि इस पर हो रहा वास्तविक नहीं माना जा रहा है जबकि कर्नाटक की चारों प्रमुख परिवहन कंपनियों पर 6,330 करोड़ से ज्यादा का कर्ज है. ऐसे में सरकार कानूनन खत्म हो चुकी कंपनी से प्रमाणपत्र लेकर अपनी वाहवाही करे तो इसे नैतिकता का उल्लंघन और जनता के साथ छल ही कहा जा सकता है. सवाल यह है कि क्या सरकार ने पैसा खर्च कर एक अस्तित्वहीन कंपनी से प्रमाणपत्र लेकर जनता को गुमराह किया है.