RBI ने रुपए को विश्व स्तर पर बढ़ाने के कई उपाय किए
आरबीआई की रेपो रेट न बढ़ी न घटी
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार अनुकूल मानसून, नियंत्रित मुद्रास्फीति और मौद्रिक नरमी के चलते आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मजबूत हैं. मौद्रिक नीति रुख तटस्थ रहे इसलिए इस बार रेपो रेट में बदलाव नीं किया गया है.
मल्होत्रा ने कहा कि जीएसटी दरें घटने से महंगाई पर काबू होगा और विकास बढ़ेगा. उन्होंने अंदेशा जताया कि टैरिफ संबंधी वैश्विक घटनाक्रमों के कारण वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विकास दर में कुछ गिरावट भी देखी जा सकती है. हालांकि यह सीमित ही रहेगा.
आरबीआई ने भारतीय रुपये को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य बनाने के लिए तीन नए उपाय सुझाए हैं जिनमें पहना उपाय यह है कि अब अधिकृत डीलर (AD) बैंक भूटान, नेपाल और श्रीलंका के अनिवासी नागरिकों को व्यापारिक उद्देश्यों के लिए भारतीय रुपये में ऋण दे सकेंगे. दूसरा उपाय यह लाया गया है कि आरबीआई भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की मुद्राओं के लिए पारदर्शी संदर्भ दरें तय करे. तीसरा उपाय यह निकाला गया है कि विशेष रुपया वास्ट्रो खातों में शेष राशि का उपयोग अब कॉर्पोरेट बॉन्ड और वाणिज्यिक पत्रों में निवेश के लिए भी हो सकेगा. अगस्त में आरबीआई विदेशी निवेशकों को केंद्र की प्रतिभूतियों में निवेश की अनुमति दे ही चुका है.
रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए द्विपक्षीय व्यापार समझौते, यूपीआई जैसी भुगतान प्रणालियों का विस्तार और मुद्रा की अस्थिरता को कम करने के उपाय भी लगातार किए गए हैं और अब इन नए कदमों से भारतीय मुद्रा के विश्व स्तर पर ज्यादा प पहचान बनाने की संभावना जागती है.