AI के लिए 2030 तक पॉवर डिमांड हो जाएगी 200 गीगावॉट
इसकी आधी यानी लगभग 100 गीगावॉट अकेले अमेरिका में खप जाएगी
दुनिया भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यनी एआई की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए 2030 तक कंप्यूटिंग पॉवर को फंड करने के लिए सालाना दो ट्रिलियन डॉलर राजस्व की आवश्यकता होगी. बेन एंड कंपनी की रिसर्च कहती है कि अभी एआई सेक्टर को अपनी जरूरत में 800 बिलियन डॉलर की कमी पड़ रही है और 2030 तक दुनिया में एआई कंप्यूटिंग की मांग 200 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी और इसमें से 100 गीगावॉट अकेले अमेरिका में ही खप जाएगी. अमेरिकी कंपनियां क्लाउड में शिफ्ट हो जाएं और कैपिटल बजट नए सिरे से भी तय करें तो भी राजस्व की भारी कमी पड़ेगी.
एआई की कंप्यूटिंग डिमांड तेजी से बढ़ने के चलते 2030 तक लगभग 500 बिलियन डॉलर के पूंजीगत व्यय लाने और मांग को पूरा करने के लिए दो ट्रिलियन डॉलर का नया राजस्व जुटाना होगा. सेमीकंडक्टर क्षमताएं भी तेजी से बढ़ रही हैं इसलिए ऐसी ग्रिड में भी पॉवर सप्लाई देनी होंगी जो अब तक पॉवर डिमांड करती ही नहीं थीं. स्टडी में मिला कि टैरिफ, एक्सपोर्ट कंट्रोल और हर देश में स्वदेशी एआई के बढ़ने से ग्लोबल टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन तेजी से बदल रही है. कम्प्यूटेशनल मांग बढ़ने के साथ एआई से कंपनियों को फायदा होने लगा हैऔर यह पिछले दो वर्षों में 10 से 25 प्रतिशत तक EBITDA कमाई हुई है. एआई को अब देशों की राजनीतिक शक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण टूल की तरह लिया जाने लगा है.