United Nations की बैठक में तीन ही मुद्दे पड़े भारी
ट्रंप ने यूएन के मंच से ही संस्था को जमकर सुनाई खरीखोटी, कहा बंद माइक के सिवा कुछ नहीं दे सकता यूएन
यूएन जनरल एसेंबली में ट्रंप का भाषण अब वायरल है जिसमें उन्होंने ब्रिटेन सहित यूरोप में अवैध आप्रवासियों को लेकर चिंता जताई और लंदन के मेयर सादिक खान को स्प्ष्ट रूप से शरिया लागू करवाने की कोशिश में जुटा व्यक्ति बता दिया. ट्रंप ने हाल ही में अपने ब्रिटेन दौरे में लंदन के प्रथम नागरिक यानी सादिक के लिए स्पष्ट कह दिया था कि वे किसी कार्यक्रम में उन्हें देखना तक नहीं चाहते र तब ब्रिटेन को पंरपराएं तोड़कर मेयर से कहना पड़ा था कि वे ट्रंप के सामने न ही पड़ें तो बेहतर. इस सभा में ट्रंप ने यूनाइटेड नेशंस की जमकर बखिया उधेड़ी और कहा कि जिन युद्धों को रुकवाने की जिम्मेदारी सएन की थी उन्हें हमने रुकवाया लेकिन यूएन ने जरा सी कोशिश तक नहीं की. ट्रंप और मेलानिया जब एस्केलेटर पर थे तब उसके बंद हो जाने को भी ट्रंप ने साजिश का हिस्सा बताया और कहा कि हम यूएन से बोलते समय बंद हो जाने वाले माइक, ट्रांसलेटर और एस्केलेटर से ज्यादा की उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए.
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने चंद ही महीनों सात खतरनाक होने जा रहे युद्ध रुकना दिए लेकिन मजाल है कि यूएन ने मदद की कोशिश भी की हो. वैसे यूएन की बैठक काफी हंगामे वाली रही. जहां तुर्की जैसे देशों ने मुस्लिम देशों का नाटो जैसा संगठन बनाने की इस मंच से वकालत करते हुए इजराइल पर हमला बोला वहीं सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया ने इजराइल के समर्थन में तर्क रखते हुए शालोम से अपनी बात पूरी की. अब हालत ये हैं कि कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों ने फिलिस्तीन को राष्ट, बतौर मान्यता दे दी है लेकिन ट्रंप ने साफ कह दिया है कि वो इजराइल के साथ हैं. उधर ट्रंप ने भारत और चीन की फंडिंग से ही रुस यूक्रेन युद्ध के आगे खिंचने की बात कहते हुए यह भी जोड़ दिया कि यदि रुस अब भी नहीं रुकता है तो हम और कड़े प्रतिबंध लगाने वाले हैं. यानी पूरी यूएन मीटिंग तीन बातों पर खासतौर पर केंद्रित रही. पहला मुद्दा अवैध रुप से दूसरे देशों में घुसने वालों का, दूसरा मुद्दा यूक्रेन-रुस काऔर तीसरा इजराइल के समर्थन में और फिलिस्तीन के साथ खड़े होने के तर्क गढ़ने का.