October 4, 2025
प्रदेश

पत्रकारों के ‘समूह बीमा’ पर लग रहा 18 प्रतिशत जीएसटी

इसे धोखा कहें या चतुराई, उम्मीद की जा रही थी कि 22 सितंबर से हट रहे जीएसटी के बाद मिलेगी प्रीमियम में राहत लेकिन आ गया पेंच
जीएसटी की दरें अब बीमा पर शून्य हो गई हैं… यदि प इस वाक्य पर आंख बंद कर भरोसा कर रहे हैं तो जरा तथ्यों की पड़ताल कर लें. कम से कम जनसंपर्क मध्यप्रदेश तो पत्रकारों को यही जानकारी दे रहा है कि सरकार ने बीमा पर जो जीएसटी घटाया या कहें हटाया है उसमें समूह बीमा शामिल नहीं है यानी यदि आप समूह बीमा का प्रीमियम दे रहे हैं तो आप पर पूरे 18 प्रतिशत का जीएसटी लग रहा है. ये तथ्य तब सामने आए जब पत्रकारों ने मध्यप्रदेश शासन के तहत की जाने वाली पत्रकार बीमा योजना के बारे में जानकारी निकाली. दरअसल पहले इस योजना के तहत पैसा भरने की अंतिम तिथि 22 सितंबर ही रखी गई थी लेकिन बाद में इसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया.

पत्रकार खुश हुए कि अंतिम तिथि बढ़ जाने से उन्हें प्रीमियम पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी को भरने से भी छुटकारा मिल जाएगा क्योंकि 22 सितंबर से ही सरकार ने बीमा पर जीएसटी दर शून्य कर देने की बात कह दी थी. जब पत्रकारों ने इसे लेकर जनसंपर्क से पूछा कि क्या वे प्रीमियम को लेकर कोई नई सूची जारी करने वाले हैं तो जवाब मिला कि इसमें बदलाव की कोई गुंजाइश ही नहीं है क्योंकि इस पर न तो जीएसटी घटी है और न हटी है बल्कि समूह बीमा पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत पर यथावत है. मजे की बात यह है कि प्रदेश सरकार इसमें छूट देने और बाकी पैसा खुद देने की वाहवाही तो ले रही है लेकिन अपने हिस्से का स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी) भी वह कम करने को तैयार नहीं है. वैसे पत्रकारों के लिए प्रदेश सरकार की नीतियां भी अजीब हैं, खुद सरकार पत्रकारों को दो हिस्सों में बांटती है. एक वे जिन्हें अधिमान्यता है और दूसरे वे जो अधिमान्य नहीं हैं. इनके प्रीमियम भी अलग अलग हैं और इन्हें मिलने वाली सुविधाएं भी. हद यह है कि अधिमान्यता चंद लोगों तक सीमित रहती है और बाकी के पत्रकार हर तरह की सुविधा से भी वंचित रहते हैं और बीमा जैसी आवश्यकता के मामले तक में अधिक प्रीमियम देने को बाध्य रहते हैं और उसमें वह 18 प्रतिशत जीएसटी भी शामिल है जिसे लेकर हर तरफ ‘जन संपर्क’ किया जा रहा है कि बीमा तो अब टैक्स फ्री हो गया है.