October 4, 2025
लाइफस्टाइल

E Car पर फ्रांस का एक शोध, बीमार करती हैं ये गाड़ियां

इन गाड़ियों में आवाज न होने और एक्सेलरेशन के बारे में अंदाजा न होने के अलावा भी कई बातों से इंसानी दिमाग पड़ता है मुश्किल में

इलेक्ट्रिक कारों ने कार बिक्री के मामले में दुनिया भर में धूम मचा दी है और इसे इको फ्रेंडली मानने वालों की भी कमी नहीं है हालांकि इस बात पर सवाल हैं कि इन्हें कितना पर्यावरण अनुकूल माना जाए. इस बहस के बीच में अब एक और बात इन कारों के साथ जुड़ रही है कि ये लोगों को बीमार कर रही हैं. फ्रांस के रिसर्चर विलियम एडमंड ने अपने पिछले कुछ साल इस शोध में लगाए कि क्या वाकई ई कारें इंसान को बीमार बना रही हैं और क से कम उनको तो जवाब हां में ही मिला है. दरअसल इलेक्ट्रिक कारों में रिजनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक के अलावा भी कई फैक्टर हैं जो इंसानी दिमाग को चकरा देते हैं.

इंसानी दिमाग का अनुमान और कार के संचालन के बीच तारतम्य न होने से इंसान का दिमाग इतना हैरान हो जाता है कि शरीर में असंतुलन के साथ मोशन सिकनेस शुरु हो जाती है. यूं भी ईवी में ना इंजन की आवाज होती है, ना रफ्तार बढ़ने और घटने का कोई अलर्ट. ऐसे में दिमाग यात्रा को लेकर पूरे समय संशय में बना रहता है जबकि पेट्रोलऔर डीजल इंजन जैसी गाड़ियों में गाड़ी की आवाजें बता देती हैं कि गाड़ी तेज होने वाली है, धीमी हो रही है या कि रुकने ही वाली है. ईवी की सीटों से लो फ्रिक्वेंसी वाइब्रेशन भी लगातार होता है और इससे भी बेचैनी बढ़ती है. डेनमार्क पुलिस ने ट्रायल के तौर पर इन गाड़ियों को चलाया और जब अफसरों को चक्कर और उल्टी की शिकायत हुई तो इन्हें बेड़े में शामिल करने पर फिर से विचार करने की बात कही गई.