Nepal में कार्की की कामचलाऊ सरकार, छह महीने में चुनाव
पहली और इकलौती महिला चीफ जस्टिस रहीं कार्की पहली महिला प्रधानमंत्री भी बनीं
नेपाल में ओली के भागने और मंत्रियों के पिटने के बाद आखिर सत्ता के लिए रस्साकशी का दौर थमा है हालांकि बमुश्किल हुए समझौते के तहत अस्थाई पीएम सुशीला कार्की को बना तो दिया गया है लेकिन उनका नाम फाइनल होने में भी काफी दिक्कतें पेश आईं. चूंकि आंदोलनकारियों में ही कई गुट बन चुके थे और भी अपने नेता को पीएम बनते देखना चाहते थे इसलिए कम से कम पांच बड़े नाम इस रेस में थे. वहीं सेनाप्रमुख ने पूर्व राजा की तस्वीर पीछे लगाकर संदेश दिया तो यह माना गया कि सेना राजशाही की वापसी वाले गुट को समर्थपन दे सकती है. राजशाही वापस न आ पाए इस डर के चलते ही कार्की के नाम पर समझौता हुआ है और यह तय हुआ कि वो अगले छह महीने कामचलाऊ सरकार चलाएंगी और मार्च 2026 में चुनाव कराने के बाद चुने हुए पीएम पद संभाल लेंगे.
कार्की पूर्व चीफ जस्टिस रही हैं और उनका करियर बेदाग रहा है. अब उनसे यह पहली उम्मीद यही की जा रही है कि वो भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्ती बरतते हुए ओली, देउबा सहित सभी सत्ताधीश रहे लोगों के खिलाफ जांच बैठाएंगी. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने कार्की को शपथ दिलाई और इसमें नेपाल आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल की भी मंजूरी मिल जाने से राह आसान हो गई. अब नेपाल की संसद भंग कर संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप कार्की को ऊपरी सदन में नामित किया जाएगा ताकि प्रधानमंत्री पद पर उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो. नेपाल ने 2015 में संविधान का जो नया प्रारुप लागू किया उस सब उसी के तहत हो रहा है. सत्तापलट के आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री बन रही कार्की के लिए भ्रष्टाचार, सभी को साथ लेकर चलने की प्राथमिकता होगी. बताया जा रहा है कि पिछले तीन दिनों में नेपाल में 51 लोगों की मौत इन प्रदर्शनों के दौरान हुई जो ओली को सत्ता से उतारने के लिए चला था. 74 वर्षीय कार्की नेपाल की पहली और इकलौती महिला चीफ जस्टिस रही हैं और नेपाल के लिए पहली महिला प्रधानमंत्री भी हैं. ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी सख्त रुख के लिए पहचानी जाने वाली कार्की का प्रधानमंत्री बनना नेपाली सियासत में स्थिरता और नई शुरुआत की उम्मीद मानी जा रही है.