September 10, 2025
वर्ल्ड

France भी नेपाल की राह पर, मैक्रों के खिलाफ जनता उतरी

दो साल में तीन पीएम बदल गए लेकिन अब जनता असली खलनायक मैक्रों को मान रही है

इमानुएल मैक्रों के खिलाफ फ्रांस की जनता भी सड़कों पर उतर आई है. फ्रांस में यह राजनीतिक उथल-पुथल तब शुरु हुई जब राष्ट्रपति मैक्रों ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए प्रधानमंत्री का बहुमत न हासिल कर पाने पर इसतीफा ले लिया लेकिन लग राषट्पि को ही हाना चाहते हैं. इसी पर जनता ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और पेरिस सहित कई शहरों में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारी मैक्रों से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. खासतौर पर मैक्रों का विरोध बजट में कटौती, सरकारी खर्चों को कम करने के नाम पर सुविधाएं बंद करने और सार्वजनिक छुटि्टयां कम करने के लिए तो है ही उनकी विदेशनीति को लेकर भी बहुत गुस्सा है. पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हार गए तभी यह साफ था कि मैक्रों की आगे की राह मुश्किल होने वाली है क्योंकि 364 सांसदों ने बायरू के खिलाफ और सिर्फ 194 ने उनके पक्ष में वोट दिया था. इसके बाद बायरू को पद से हटना पड़ा और वे पिछले दो साल में तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें पद छोड़ना पड़ा. पिछले कुछ महीनों में मैक्रों की लोकप्रियता तेजी से गिरी है और इसमें 15 प्रतिशत की गिरावट आई है. लोगों का कहना है कि यह सरकार सिर्फ बिजनेस करना जानती है और इसके आर्थिक फैसलों ने आम जनता को निचोड़ कर रख दिया है. इन प्रदर्शनों में रूस यूक्रेन युद्ध में जबरन फ्रांस के पैसे और संसाधनों का इस्तेमाल किया जाना भी मुद्दा बना हुआ है. मैक्रों ने 26 देशों के गठजोड़ के साथ अपने सैनिक यूक्रेन भेजने की बात की जिसने जनता को और भड़का दिया.
प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद मैक्रों को नई सरकार के गठन या मध्यावधि चुनाव में से एक विकल्प चुनना होता लेकिन अब उनकी ही कुर्सी खतरे में नजर आ रही है. फ्रांस के मौजूदा हालात सिर्फ राजनीतिक संकट नहीं हैं बल्कि फ्रांस की सरकार का अपनी सीमाओं से परे जाकर आम जनता पर ध्यान न देना भी है.