Munir ने खुद को ही दे डाला हिलाल ए जुर्रत सम्मान
आईएसआई चीफ से लेकर नेवी और एयर चीफ को भी मजबूरी में देना पड़े तमगे
पाकिस्तान में आजादी के जश्न यानी 14 अगस्त के मौके पर आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने खुद को ही बड़ा तमगा दे डाला है. पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा युद्धकालीन बहादुरी सम्मान माने जना वाल हिलाल-ए-जुर्रत देकर मुनीर ने नई परंपरा भी डाल दी है कि सरकार का इंतजार करने की जरुरत ही नहीं कि वह आर्मी पर्सन को सम्मान के लिए चुने. यह सम्मान युद्ध में असाधारण साहस के लिए दिया जाता है. सोशल मीडिया पर यूजर्स मुनीर को इस बात के लिए मजाकिया शाबासी दे रहे हैं और कह रहे हैं कि खुद ही अवॉर्ड देना और लेना हो तो अब नोबेल प्राइज की भी क्या जरूरत है.
इस बारे में सरकारी बयान में कहा गया कि मुनीर को यह सम्मान (भारत से)संघर्ष के दौरान साहस, सैन्य दक्षता, मजबूत विश्वास और देशभक्ति” दिखाने के लिए मिला है. मुनीर को हिलाल ए जुर्रत दिए जाने के साथ ही कुछ अन्य को भी नवाजना जरुरी था वरना असंतोष भड़कता इसलिए एयर चीफ मार्शल, नेवल चीफ और जॉइंट चीफ़ को निशान-ए-इम्तियाज (सेना) दिया गया. आईएसआई चीफ को हिलाल-ए-इम्तियाज (सेना) देना भी मुनीर की मजबूरी थी. अब पाकिस्तान में खुद को सम्मान देने की इस परंपरा पर बहस चल रही है और आलोचक कह रहे हैं कि ऐसे में सम्मान की गंभीरता और विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं.