August 6, 2025
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Jharkhand चुनाव की घोषणा और चंपई के तेवर

हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने पर जिस शांत तरीके से चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद छोड़कर हेमंत को कमान वापस सौंप दी वह आज की राजनीति में बिरले ही देखी जाने वाली बात थी.

लोग उस समय भी याद कर रहे थे कि कब कब ऐसा हुआ जब जिस पर भरोसा कर पद संभालने के लिए दिया गया हो उसी ने पद से उतरने से मना कर दिया हो लेकिन…अब चंपई खुलकर बता रहे हैं कि कैसे उनके साथ पद संभालने के बाद व्यवहार हुआ और किस तरह वे सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री थे जबकि सारे निर्णय कहीं और से आ रहे थे. चंपई सोरेन कई भाजपा नेताओं से लगातार मुलाकातें कर रहे हैं और चूंकि झारखंड में चुनावों की घोषणा हो चुकी है इसलिए यहां की राजनीति के हिसाब से यह भूचाल से कम नहीं है कि चंपई और उनके साथी विधायक हेमंत सोरेन के बारे में खुलकर बोल रहे हैं और भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं.जो बातें अब तक चंपई ने कही हैं वो न सिर्फ राजनीति के हिसाब से देखी जाएंगी बल्कि इन्हें हमारे संविधान और लोकतंत्र के नजरिए से भी देखा जाना चाहिए क्योंकि यदि कोई व्यक्ति बअता रहा है कि उसके मुख्यमंत्री रहते वह खुद कार्यक्रम में जाना चाहता था लेकिन उसे जाने नहीं दिया गया तो सवाल तो उठता है कि आखिर सीएम के हक क्या हैं और कैसे तिहाड़ से वह सब तय हो सकता था जो एक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा तय नहीं कर पा रहा था. चंपई ने जो घटनाक्रम बताए हैं वे साफ कहते हैं किइ उन्हें हेमंत के जेल में रहते महीज कठपुतली बनाए रखने की कवायद थी और दर हकीकत इस पूरे समय में सिर्फ अफसर राज कर रहे थे भले वो निर्देश हेमंत सोरेन से ले रहे हों.

आज चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया पर जो दुख जाहिर किया है उसमें एक और बात छुपी हुई है और वह यह कि वे पद छोड़ते समय भी दुखी थे और यदि उन्हें उसी समय ‘सही साथ’ मिल जाता तो वे हेमंत सोरेन का तख्ता तब भी पलट सकते थे लेकिन चूंकि उस समय वे किसी से कहने के नहीं थे और किसी ने उनको समझने की कोशिश नहीं की इसलिए वे शांत तरीके से सत्ता हस्तांतरित कर सीएम पद छोड़ कर बाहर आ गए.