Justice Verma संसद और सुप्रीम कोर्ट, दोनों जगह चर्चा में रहे
उनके घर से नोटों में जले हुए नोटों वाले बोरे मिल थे लेकिन अब तक एफआईआर भी नहीं हुई
जस्टिस वर्मा याद हैं ना, जी हां वही जिनके घर बोरियों में भरे हुए नोट जल गए थे और जिन्होंने इस मामले को खत्म करने की पिछले दिनों गुजारिश भी की थी…तो साहब आज के हीरो वे ही रहे यानी संसद सत्र के पहले दिन उन्हीं के इंपीचमेंट पर चर्चा हुई, यही नहीं सुप्रीम कोर्ट की एक सुनवाई भी उनके नाम रही. संसद में वर्मा पर महाभियोग चलाने के लिए मतदान हुआ और इसमें 145 लोकसभा जबकि 63 राज्यसभा सदस्यों ने उस मांग के समर्थन में वोट किया जिसमें वर्मा पर महाभियोग चलाए जाने की बात है. यह सब संसद में हुआ उससे पहले भी जस्टिस वर्मा ने आज की सुर्खियां बनाईं. हुआ यूं कि एक वकील साहब ने अर्जी लगाई कि जस्टिस वर्मा पर एफआईआर अब तक नहीं हुई है इसलिए एफआईआर दर्ज कराने का हुक्म दिया जाए और उन पर कार्रवाई की शुरुआत तो की जाए. लंबी लंबी तारीखें झेल चुके वकील साहब ने मामला सुन रहे जज साहब से मांग की कि वर्मा पर एफआईआर की इजाजत दें लेकिन जज साहब जस्टिस वर्मा के नाम को सिर्फ वर्मा सुनकर भड़क गए और वकील साहब को इसके लिए डांट पिला दी. वकील साहब से कहा गया कि जस्टिस वर्मा अभी भी न्यायाधीश हैं और उनका नाम पूरे सम्मान से ही लिया जाना जरुरी है.
वकील साहब ने मान लिया कि चलिए गलती हो गई लेकिन अब तो कार्रवाई का आदेश जारी करें तो जज साहब ने कहा कि हम इसे अर्जेंट मैटर में नहीं ले सकते और जब उचित समय होगा तब इसे ले लिया जाएगा. आदरणीय, सम्माननीय जस्टिस वर्मा पर कार्रवाई के लिए उचित समय कब आएगा यह अब तक तो तय नहीं हो सका है लेकिन संसद में यदि महाभियोग की कार्रवाई शुरु हो गई तो जरुर यह उचित समय करीब ही है.