Pema Khandu बोले भारत की सीमा चीन से लगती ही नहीं
भारत की किसी राज्य की सीमा चीन से नहीं लगती, हम तिब्बत से सीमा साझा करते हैं चीन से नहीं
अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू का एक बयान इन दिनों काफी वायरल तो है ही साथ ही हमारी सेवन सिस्टर राज्यों के प्रति सोच को भी साफ करता है. दरअसल एक इंटरव्यू के दौरा पेमा खांडू से चीन को लेकर सवाल पूछते हुए कहा गया कि हमारी 1200 किलोमीटर सीमा चीन के साथ लगती है. इसके जवाब में खांडू ने तुरंत कहा कि चीन से हमारी कोई सीमा नहीं लगती. दरअसल इंटरव्यू करने वाले उन्हीं बातों के आधार पर यह सवाल रख दिया जो बचपन से कोर्स की किताबों में पढ़ाई जा रही हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वाकई भारत की कोई सीमा चीन से सीधे नहीं लगती बल्कि हमारी सीमाएं तिब्बत से लगती हैं जो कि 1950 में चीन ने जबरन हथिया लिया था. जाहिर है कि यदि भारत तिब्बत को पहले की तरह एक देश मानने लगे तो ये सवाल बेमानी हो जाता है कि चीन की भारत से कोई सीमा लगती है. खांडू ने यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश तो छोड़िए किसी भी अन्य राज्य से भी चीन की कोई सीमा नहीं लगती यानी चीन हमारा पड़ोसी ही नहीं है. दुनिया भले चीन को अपना हिस्सा मानती हो लेकिन हकीकत हकीकत यही है कि हमारी सबसे लंबी सीमा तिब्बत से लगती है जिसकी अपनी पहचान है यहां तक कि शिमला समझौते में भी तिब्बत को अलग ही माना गया. दलाई लामा के जन्मदिन में पिछले दिनों खांडू खुद शामिल हुए थे और इस बात पर चीन नाराज भी है कि भारत के नेताओं को दलाई लामा का जन्मदिन मनाने या उनकी चीन के प्रति सोच को सही ठहराने की क्या जरुरत थी.
खांडू कहते हैं कि भारत भूटान से 150 किलोमीटर, तिब्बत के साथ 1200 और म्यांमार के साथ 550 किलोमीटर की सीमा साझा करता है लेकिन चीन के साथ तो हमारी सीमा लगती ही नहीं. पिछले दिनों दलाई लामा ने भी साफ किया था कि वो अपने पद के नए उत्तराधिकारी के चयन के मामले में चीनी दखल को बरदाश्त नहीं करेंगे और यह काम बौद्ध परंपराओं के हिसाब से ही होगा. तिब्बत पर चीन ने 1950 में जबरन कब्जा जमाया है जबकि इससे पहले यह स्वतंत्र रुप से दलाई लामा के शासन में लगभग चार दशक तक रहा. चीन यहां पर पूरी तरह कब्जा करते हुए आगे अरुणाचल प्रदेश तक को अपना हिस्सा बताने से बाज नहीं आता है लेकिन खांडू ने साफ कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश तो छोड़ें तिब्बत को भी वो चीन का हिस्सा मानने से इंकार करते हैं.