World Chocolate Day स्वाद की लंबी परंपरा
चॉकलेट के मूल कोको से इंसानी रिश्ता तीन हजार साल पुराना, चॉकलेट का पहला स्वरुप1550 में सामने आया
7 जुलाई को विश्व चॉकलेट दिवस मनाया जाता है, चॉकलेट की शुरुआत 16वीं शताब्दी में यूरोप से मानी जाती है. यानी वर्ल्ड चॉकलेट डे को डार्क चॉकलेट से लेकर मिल्क चॉकलेट और सिंपल बार से लेकर ट्रफ़ल्स तक सभी चॉकलेट्स के सम्मान दिवस की तरह देखा जा सकता है. चॉकलेट का आनंद और उसकी दीवानगी के लिए समर्पित इस दिन को 1550 में उस दिन के लिए याद किया जाता है जब यूरोप में पहली बार यह मीठी सी शै तैयार हुई थी और जो सैकड़ों साल बाद भी अपना जादू बनाए हुए है. चॉकलेट का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी समय के साथ बढ़ता ही गया है. कोको बीन से बनने वाली और दुनिया भर मे जानी पहचानी चॉकलेट का इतिहास प्राचीन मेसोअमेरिकन संस्कृतियों से जुड़ा माना जाता है. हालांकि चॉकलेट हमेशा से इतनी स्वीट नहीं थी जितनी कि आज हमें मिलती है लेकिन इसमें एक कशिश तब भी थी जब इसका स्वाद कसैला हुआ करता था. वैश्विक व्यंजनों में अपनी पहचान बनाने वाली चॉकलेट का दिन भी खास है.
थियोब्रोमा यानी कोको पेड़ के बीज से आने वाला प्रोडक्ट चॉकलेट का मुख्य हिस्सा है और यह देने के लिए हमें मेक्सिको, मध्य अमेरिका और उत्तरी दक्षिण अमेरिका का भी शुक्रिया करना चाहिए जो हमें कोको पेड़ की यह उपज देते हैं, तीन सदियों से यहां के लोग कोको से अपना रिश्ता कायम रखे हुए हैं. दुनिया की अफ्रीका पर कोको के लिए निर्भरता कमोबेश सत्तर प्रतिशत तक है. कोको का इस्तेमाल स्थानीय लोग 1100 ईसा पूर्व से कर रहे हैं और तीखे या कहें कसैले स्वाद को जादुई कशिश में बदलने की कहानी ही चॉकलेट डे मनाने की नींव है. वर्ल्ड चॉकलेट डे पर अपने प्रियजनों के साथ चॉकलेट डे का आनंद लेते हुए यह जरुर याद करें कि कोको से हमारी सभ्यता की पहचान तीन हजार से साल से भी ज्यादा पुरानी है और चॉकलेट भले छह सौ साल करीब पुरानी ईजाद हो लेकिन इसका आज का रुप रंग एक लंबी यात्रा का ही नतीजा है.