June 28, 2025
धर्म जगत

Rath Yatra Puri प्रभु जगन्नाथ की यात्रा में लाखों श्रद्धालु

पुरी के गजपति महाराज का स्वर्ण झाडू से यात्रा मार्ग बुहारना और उसके बाद यात्रा का शुरु होना भी श्रद्धा का स्वरुप

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में आस्था का महासागर ही उमड़ पड़ा है, दुनिया के हर कोने से आए श्रद्धालुओं का एक ही लक्ष्य है कि प्रभु के दर्शन हो जाएं, प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ को खींचने का सौभाग्य जिसे मिल गया वह तो खुद को बड़भागी मानते हैं. ‘जय जगन्नाथ’ के जयकारों के बीच प्रभु जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ दिव्य रथों पर अपनी मौसी के घर, गुंडीचा मंदिर की ओर निकलते हैं और यह पुरी के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश में फैले जगन्नाथ भक्तों के लिए सबसे बड़ा दिन होता है. यह यात्रा भक्ति और परंपरा का वह जीवंत उत्सव है जो हर साल दुनियाभर से लाखों लोगों को अपनी ओर खींच लाता है. ‘छेरा पहंरा’ रस्म के तहत सोने की झाड़ू से पुरी के गजपति महाराज प्रभु का रास्ता बुहारते हैं.

सुगंधित जल से तीनों रथों के मंच की सफाई होती है और फिर शुरु हो जाती है वह रथ यात्रा जिसमें सम्मिलित होकर हर भक्त खुद को धन्य मानता है, रथ की रस्सी को हाथ लगा लेना ही किसी महापुण्य से कम नहीं समझा जाता है. राजा खुद भगवान के रथ के आगे झाड़ू लगाते हैं, तो यह समानता और समर्पण का प्रतीक होता है.
इस यात्रा के तीन विशाल और भव्य रथ में पहला होता है नंदीघोष रथ जिस पर स्वयं भगवान जगन्नाथ होते हैं और यह लाल और पीले रंग का होता है. इसके साथ में होता तालध्वज रथ जिस पर भगवान बलभद्र सवार होते हैं और यह लाल और हरे रंग से पहचाना जाता है. तीसरा रथ होता है दर्पदलन रथ जो देवी सुभद्रा का होता है और यह लाल और काले रंग से सज्जित होता है. लाखों श्रद्धालु इन रथों को खींचने आते हैं, क्योंकि इससे मोक्ष प्राप्ति सुनिश्चित मानी जाती है. अब यह उत्सव ओडिशा के साथ साथ पूरी दुनिया में मनाया जाता है, और हर जगह भगवान जगन्नाथ की महिमा इस तरह परिलक्षित होती है..