June 21, 2025
वर्ल्ड

G-7 में भारत बतौर अतिथि लगातार छठवीं बार हो रहा है शामिल

खालिस्तानियों ने मोदी के कनाडा पहुंचने पर खूब हंगामा मचाने की तैयारी कर रखी है, काफी धमकियां भी, इसके बाद भी मोदी ने शामिल होने का लिया फैसला

कनाडा के अनमने निमंत्रण के बाद भी पीएम मोदी कनाडा पहुंच रहे हैं. जी 7 में बुलाने का मन ट्रूडो की तरह कानाीर् का भी नहीं था लेकिन बाकी छह देशों के दबाव के चलते भारतीय प्रधानमंत्री को न्यौता दिया गया जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया. इसमें मजे की बात यह है कि जी 7 में भारत सदस्य नहीं है बल्कि आमंत्रित की तरह बुलाया जाता है यानी एक गैर सदस्य को आमंत्रण देने के लिए कनाडा पर बाकी छह देशों ने कार्नी पर दबाव डाला. कनाडा पहुंचने से पहले मोदी साइप्रस गए जो भारत काा सहयोगी और साथी तो रहा ही है, साथ ही तुर्किए का विरोधी भी है और दुश्मन का दुश्मन, हमारा दोस्त होना ही चाहिए. इस सबके बाद भी सवाल यह उठता है कि खालिस्तानियों के इतने खतरों और कनाडा के अनमने रुख के बाद भी मोदी ने कनाडा जाने के लिए हां क्यों की.

दरअसल पहला कारण तो यही था कि जब जी7 देशों के सात में से छह देश भारत को बड़ी ताकत मान कर बुलाने का दबाव कनाडा पर बना रहे थे तो हमें जाना ही चाहिए. दूसरा यह कि कार्नी से मिलकर मोदी सीधे यह संदेश दे सकते हें कि यदि उनका ट्रूडो की ही तरह व्यवहार रहा तो उनके लिए क्या मुश्किले होंगी और तीसरा यह कि खालिस्तानियों को यह संदेश देना भी जरुरी है कि भारत अब ऐसी धमकियों से नहीं डरता. इसके अलावा सभी सदस्य देशों के बीच बात करना, ट्रंप से सीधी मुलाकात, रुस-यूक्रेन और इजराइल-ईरान मामले पर भारत के रुख रखने जैसे कई काम इस दौरे में पूरे हो जाएंगे. एक मसला भारत और कनाडा के बीच मुक्त व्यापार समझौते का भी है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टामर्र भी इस सम्मेलन में मौजूद हैं और ट्रंप जेलेंस्की की भी मुलाकात की संभावनाएं हैं. भारत, यूक्रेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको और यूएई के राष्ट्र प्रमुख इसमें शिरकत कर रहे हैं. यह लगातार छठी बार है जब भारत जी7 में आमंत्रित देश बतौर शामिल है.