China बताए कि छात्रों से अमेरिका की जासूसी कराता है
खुद शी जिनपिंग की बेटी हॉर्वर्ड में नाम बदलकर पढ़ीं, USA में तीन लाख चीना छात्र, चीन में सात सौ भी अमेरिकी नहीं
ट्रंप की सरकार ने चीन के छात्रों के वीजा पर कड़ाई करने का फैसला किया तो चीन का प्रतिरोध तुरंत सामने आ गया. हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी वगैरह जैसे संस्थानों के कर्ता धर्ता तो पहले ही ट्रंप से फंडिंग रोकने जैसे मामले पर चिढ़े बैठे हैं इसलिए वो भी इसे इसी तरह बता रहे हैं कि ट्रंप ने कोई बहुत बड़ा गलत कदम उठा लिया हो लेकिन हकीकत यह है कि चीन के छात्र बनकर इन यूनिवर्सिटी में पए़ रहे कथित छात्रों में बड़ी संख्या में जासूस भेजे जा रहे हैं जो यदि सीधे चीन के लिए जासूसी न भी करें तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से उनके तार जुड़े रहे हैं. यहां तक कि इनमें से कुछ तो संवदेनशील जगहों की जानकारी भेजते भी पकड़ाए हैं जबकि मिलिट्री साइंस से लेकर बायो स्टूडेंट तक अपने अपने स्तर पर ऐसी जानकारियां चीन को भेजते पाए गए हैं जो चीन के काम की थीं और अमेरिका के लिहाज से जासूसी की श्रेणी में आती हैं.
यहां तक कि खुद चीन के चीफ शी जिनपिंग की बेटी शी मिंग जे ने भी हॉर्वर्ड से पढ़ाई की है और उन पर आरोप है कि उन्होंने नाम बदलकर दाखिला लिया था हालांकि इसे उनकी सुरक्षा के मद्देनजर उठाया गया कदम भी बताया जाता है. दूसरी बार भ्बी उनके पीजी करने अमेरिका जाने की भी बातें कही जाती हैं और वो अभी कहां हैं इस बात को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि मिंग अभी भी मेसाचुएट्स में हैं. अमेरिका ने चीनी छात्रों के वीजा बड़े पैमाने पर रद्द कर रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो कह रहे हैं कि विदेश मंत्रालय, गृह सुरक्षा मंत्रालय के साथ ऐसे चीनी छात्रों का वीजा रद्द करेगा, जिनका चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध है. खास नजर उन छात्रों पर होगी जो टेक्निकल पढ़ाई में हैं. कई चीनी छात्र सीसीपी से जुड़े हो सकते हैं क्योंकि चीनी यूनिवर्सिटीज में सीसीपी की विचारधारा पढ़ाई जाती है, इसलिए इस तरह के छात्रों की संख्या काफी होने की संभावना है. यह भी पता चला है कि सीसीपी विदेश में पढ़ने वाले छात्रों पर चीनी छात्र संगठनों के जरिए नजर रखती है. ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि कुछ चीनी छात्र सीसीपी के लिए जासूसी या तकनीकी जानकारी चुराने का काम कर सकते हैं. खासकर उन क्षेत्रों में जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील है, जैसे एआई. रुबियो ने साफ कहा कि अमेरिका ने तय किया है कि हम चीन और हांगकांग से मिले वीजा आवेदनों की जांच सख्त करेंगे क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. सीसीपी छात्रों के जरिए संवेदनशील जानकारी हासिल करता रहा है. चीन ने फैसले पर विरोध जताते हुए कहा है कि अमेरिका ने विचारधारा और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर हमारे छात्रों के वीजा को जिस तरीके से रद्द किया है उससे अमेरिका की छवि और विश्वसनीयता टूटेगी. इस बीच जापानी सरकार ने अमेरिका से लौटे छात्रों को एडमिशन की विशेष व्यवस्था बनाने की शुरुआत की है.