Olympics का ‘आधा चांदी, आधा कांस्य’ मैडल
दो जापानियों की जिद से बनी मिसाल
चंद घंटों बाद फ्रांस की राजधानी पेरिस में रंगारंग शुरुआत के साथ दुनिया का सबसे बड़ा खेल आयोजन शुरु हो जाएगा और इसी के साथ एथलीट्स की दुनिया में कई नए सितारों के चमकने का भी सिलसिला शुरु हो जाएगा. कई रिकॉर्ड्स बनेंगे और कई टूटेंगे लेकिन एक रिकॉर्ड ऐसा है जो 1936 से आज तक कायम है और जिसके टूटने की संभावना इस बार भी नहीं ही दिखती. दरअसल बर्लिन के 1936 ओलिंपिक की बात है, इसमें पोल वॉल्ट्स की स्पर्धा में जापान के दो एथलीट बराबरी पर रहे थे. मुकाबला रजत और कांस्य पदक के लिए था लेकिन दोनों ने टाईब्रेकर खेलने से इंकार कर दिया. तर्क यह था कि अपने ही देश के खिलाड़ी से क्या टाई ब्रेक खेलना? आयोजकों ने समझाया लेकिन दोनों जिद पर अड़ गए कि टाईब्रेक में तो हम आमने सामने नहीं आएंगे. ऐसे में आयोजकों ने वह किया जो ओलिंपिक इतिहास में न पहले हुआ था और न फिर बाद में कभी हुआ. दोनों को इस बात की अनुमति दे दी गई कि वे कांस्य और रजत यानी चांदी के पदकों का आधा आधा हिस्सा कटवा कर दूसरे से जोड़ लें. इस तरह दो ऐसे नए पदक तैयार हो गए जिनमें आधा चांदी का बना हिस्सा था और आधा कांसे का. बाद में इस अनूठे पदक को मैत्री पदक यानी फ्रेंडशिप मैडल का नाम भी दे दिया गया.अ शुहेई निशिदा और सुएओ ओई नाम के जापानी आज भी इन दो अनूठे पदकों के विजेता बतौर याद किए जाते हैं. हमें तो इस बार भी ऐसे किसी मैडल की संभावना नजर नहीं आ रही है जो ढाई पदक की तरह पेश किया जा सके.