August 6, 2025
ट्रेंडिंग

Uttar pradesh ही नहीं उत्तराखंड में भी नाम लिखने का फरमान

योगीजी मसला डाल डाल पात पात का है
कांवड़ियों के रास्ते की दुकानों पर दुकानदार का नाम लिखने का शुरुआती तौर पर मुजफ्फरनगर के लिए था लेकिन इस पर मची ले दे से समझ आया कि कुछ लोग पहचान छुपााने का इरादा रखते हैं और अब यूपी सीएम योगी ने आदेश को पूरे यूपी के लिए लागू कर दिया है. इस उठापटक का असर उत्तराखंड तक पहुंच गया है और वहां भी ऐसा आदेश जारी हो गया है, रुबिका लियाकत बता रही हैं कि यह नियम तो 2006 में बन गया था और 2011 में सभी ढाबों और रेस्टोरेंट मालिकों को नाम और लाइसेंस बड़े अक्षरों में लगाने का आदेश मनमोहन सरकार के समय ही आ गया था. ओवैसी एंड कंपनी ही नहीं मुख्तार अब्बास नकवी को भी यह आदेश नागवार गुजर रहा है लेकिन कई लोग इससे खुश हैं. सच भी है आप दुकान का नाम काफी सोच समझ कर रखते हैं ताकि ग्राहक आकर्षित हों. उसकी सजावट और संवार पर ध्यान देते हैं, उसे खास और अगल बनाने का प्रयास करते हैं ताकि लोग आएं और खूब आएं. जब दुकान का नाम होता है तो उसको चलाने वाले का नाम भी होगा ही और ऐसा कोई बिरला ही होगा जिसे अपने नाम या अपनी पहचान से प्यार न हो. ऐसे में ये कौन हैं जिन्हें अपनी ही दुकान पर अपना नाम लिखने में आपत्ति है? वैसे यहां एक घटना का जिक्र जरुर कर दूं. मेरे घर के रास्ते में कई ठेले खड़े होते थे फलों के, एक ठेले पर अच्छे आम दिखे तो रुक गया.ठेले वाला गले में भगवा गमछा डाले, माथे पर टीका लगाए फल बेच रहा था. सौदा तय हुआ, पैसे देने की बारी आई तो क्यूआर मांगा.उसने पहले तो हीलाहवाला किया लेकिन जब देखा कि मेरे पास नोट हैं ही नहीं तो अब तो सौदा ही कैंसल हो जाएगा, बुमश्किल उसने कोड निकाल कर दिया और स्कैन करते ही चौंकने की बारी मेरी थी. जावेद भाई का नाम चमक रहा था स्क्रीन पर. मैंने कैफियत पूछी कि भाई गड़बड़झाला कहां है तो उसने बताया कि जावेद भाई सुबह ठेला भरवा देते हैं. शाम को हिसाब हो जाता है, मुझे दिन भर की मजदूरी मिल जाती है, मुनाफा जावेद भाई रख लेते हैं और गंगा के साथ जमना इसी तरह सालों से बहती चली आ रही है. अब योगीजी ने नाम लिखने की जिद की तो ठेले पर नाम संतोष भाई का ही लिखा जाएगा, क्यूआर कोड भी बदलकर संतोष भाई के नाम का लगा दिया जाएगा लेकिन अनुपात वही रहेगा कि संतोष भाई तिलक लगाए दिन भर खटने के बाद दो सौ रुपल्ली पाएंगे, जावेद भाई सुबह दो हजार में ठेला भरवाकर रात में चार हजार गिन रहे होंगे. योगीजी ने डाल डाल जाने के लिए मनमोहन के ही निर्णय को मजबूती से लागू तो करने का कदम उठा चुके हैं लेकिन इन पात पात वाले रास्तों की गलियां बाकी बनी रहेंगी.