July 9, 2025
Film

78th Cannes Film Festival रिस्टोर होकर आई गेहुनु लमाई

कान फिल्म फेस्टिवल विशेष- प्रज्ञा मिश्रा

क्लासिक सेक्शन में प्रीमियर पर हेरिटेज फाउंडेशन के शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने बताया कितना मुश्किल था रिस्टोर करना

कान फिल्म फेस्टिवल में सुमित्रा पेरीज़ की 1978 की पहली फिल्म “गेहेनु लामाई” (द गर्ल्स) क्लासिक सेक्शन में प्रीमियर हुआ, भारत के फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के फिल्म की restoration की कोशिश के बाद, यह ब्लैक एंड व्हाइट क्लासिक अपनी मूल रिलीज़ के 47 साल बाद स्क्रीन पर लौटी.
श्रीलंका के ग्रामीण क्षेत्र में सेट, 1978 के लंदन फिल्म फेस्टिवल में वर्ष की उत्कृष्ट फिल्म के रूप में सम्मान पा चुकी यह फिल्म कुसुम की कहानी है, जो निमल नामक एक उच्च वर्ग के लड़के से प्यार करती है, जिसके घर में वह काम करती है. निमल की माँ को जब इस रिश्ते के बारे में पता चलता है, तो वह बहुत नाराज़ हो जाती है, क्योंकि कुसुम निचले वर्ग से आती है, निमल की माँ उसे नौकरी से निकाल देती है और कुसुम निमल से सभी रिश्ते तोड़ देती है. फिल्म की स्क्रीनिंग को लेकर फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने बताया कि यह रिस्टेारेशन अविश्वसनीय रूप से कठिन था और हमें ‘गेहेनु लामाई’ को उसके मूल गौरव पर वापस लाने के लिए फिल्म के तीन अलग-अलग तत्वों के साथ काम करना पड़ा. फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने FISCH (फ्रांस-भारत-श्रीलंका सिने हेरिटेज- सेविंग फिल्म एक्रॉस बॉर्डर्स) के साथ मिलकर बहाली का काम किया, जो फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन, फ्रांस के दूतावास और भारत में फ्रेंच इंस्टीट्यूट और श्रीलंका और मालदीव में फ्रांस के दूतावास के बीच एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग है. डूंगरपुर ने बहाली के पीछे तकनीकी चमत्कार का विवरण दिया, जिसमें मूल सामग्रियों की हालत इतनी ख़राब थी कि भरोसा नहीं था कि कुछ बचा भी पाएंगे या नहीं. उन्होंने बताया, “श्रीलंका के राष्ट्रीय फिल्म निगम में संरक्षित ‘गेहेनु लामाई’ के बचे हुए फिल्म तत्व- एक 35 मिमी संयुक्त डुप्लीकेट निगेटिव और दो पहली पीढ़ी के 35 मिमी रिलीज प्रिंट, बोलोग्ना में एल’इमेजिन रिट्रोवाटा को भेजे गए थे.”
वसंथी चतुरानी, जो कुसुम के रूप में कास्ट किए जाने पर सिर्फ 16 वर्ष की थीं, कहती हैं: “मैं अभिभूत हूं कि ‘गेहेनु लामाई’ को फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा बहाल किया गया है और इसे रिलीज होने के 47 साल बाद कान फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर किया जाएगा. मैं सिर्फ 16 वर्ष की थी और एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ रही थी जब सुमित्रा पेरीस ने मुझे कुसुम की भूमिका के लिए चुना. शुरू में, मैं बहुत घबरा गई थी और लगभग हार मान चुकी थी, लेकिन वह बहुत धैर्यवान थी और उसने मुझे अभिनय की बारीकियाँ और कैमरे का सामना करना सिखाया. कुसुम का किरदार हमेशा मेरे दिमाग में रहेगा.”
निमल का किरदार निभाने वाले अजीत जिनदास ने फिल्म के प्रभाव के बारे में बताया: “मैंने जो किरदार निमल निभाया है, और वसंथी चतुरानी द्वारा इतनी खूबसूरती से निभाई गई कुसुम के बीच का रिश्ता मासूम, शुद्ध और दूसरों से संघर्ष रहित था – फिर भी, यह उस समय के कठोर सामाजिक मानदंडों से बच नहीं सका. फिल्म ने कई लोगों का दिल तोड़ दिया. आज भी, 47 साल बाद, प्रशंसक मुझसे अक्सर भावनात्मक रूप से पूछते हैं कि मैंने कुसुम को क्यों छोड़ दिया. उनका गुस्सा और जुनून इस बात को बयां करता है कि कहानी ने लोगों को कितनी गहराई से छुआ है.”