Bangladesh में यूनुस की सत्ता के दिन अब गिनती के
यूनुस न छात्रनेताओं से सामंजस्य रख पाए और न सेना की उम्मीदों पर खरे उतर रहे
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज्जमान ने इसी साल चुनाव कराने की बात कही, यूनुस को सत्ता में बैठाने में मदद करने वाले एक छात्र नेता ने यूनुस से बात की और खबर आई कि यूनुस अब सत्ता से हटना चाहते हैं या कहें इस्तीफा देना चाहते हैं. यह तो वह खबर है जो बांग्लादेश की तरफ से अधिकृत तौर पर बताई गई लेकिन सच यह है कि सेना ने यूनुस को दरकिनार करने का फैसला ले लिया है और छात्रनेता एनहिद इस्लाम सिर्फ वह कह रहे हैं जो सेना प्रमुख ने उनसे कहने के लिए कहा है. उज्जमान ने पिछले दिनों कहा था कि सिर्फ निर्वाचित सरकार ही देश के नीति निर्धारण वाले फैसले ले सकती है.
दरअसल यूनुस डीपस्टेट वालों की आंखों के तारे रहे हैं और उन्हें सत्ता में लाने के लिए सारे हंगामे भी प्रायोजित तरीके से किए गए थे लेकिन अब अमेरिका में सरकार बदल जाने से और नई जियोपॉलिटिक्स में यूनुस बेकार साबित हो रहे हैं. पिछले दिनों उन्हें कई बार बड़बोलापन करते भी देखा गया है और इन सबसे बड़ी बात कि वहां के सेना प्रमुख को पाकिस्तान का मॉडल पसंद आ रहा है जिसमें असली सत्ता सेना प्रमुख के हाथ में ही होती है लेकिन इस समय बांग्लादेश में सेना प्रमुख को न सिर्फ यूनुस बल्कि उन तीन छात्र नेताओं से भी सामंजस्य बैठा कर चलना पड़ रहा है जो यूनुस के सत्ता में आने का आधार बने थे. इतने समीकरण संभालते संभालते परेशान हो चुके उज्जमान अब सत्ता की सीधी पकड़ अपने हाथ में चाहते हैं. वे ही यह कहलवा रहे हैं कि अगर यूनुस अपना काम नहीं कर सकते तो उनके रहने का कोई मतलब नहीं है. बार बार यह खबर आना कि यूनुस काम न कर पाने की वजह से इस्तीफा देना चाहते हैं, छात्र नेताओं और सेना की मिलजुल कर लिखी स्क्रिप्ट का ही हिस्सा है और माना जा रहा है कि यूनुस के लिए आने वाले दिन भारी साबित होंगे. जहां तक चुनावों का सवाल है, शेख हसीना की पार्टी को चुनाव से बाहर रखकर हुई किसी प्रक्रिया का कोई मतलब नहीं रह जाता है और सेना प्रमुख ने दिसबंर 2025 तक चुनाव कराने के संकेत भी इसीलिए दिए हैं कि इस मुद्दे पर भी इस बीच में काम हो जाए.