नारायण हरि साकार मामला : क्या ले के आयो जग में,क्या ले के जाएगा रे बंधु
–डॉ.छाया मंगल मिश्र
-हाथरस के नारायण हरि साकार मामले के बाद फिर सब बाबा जोगड़े चर्चे में हैं…ये ज्ञान बांटने वाले चाहे किसी भी धर्म के हों खुद कुबेर बने बैठे हैं. इन धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों से कहें कि-देश के शत्रुओं का नाश हो इसका पुतला गाड़ें. ऐसा काला जादू करें कि भ्रष्ट नेताओं, अफसरों, अधिकारियों का सत्यानाश हो जाये. देश के प्रत्येक युवा को उसके योग्य रोजगार मिल जाए ऐसा मंत्र फूंके. सभी महिलाएं, युवतियां, कन्याएं बेखौफ जिंदगी जी पाएं ऐसी चालीसा की रचना करें. प्राकृतिक आपदा से देश की हानि न हो ऐसा कोई यज्ञ आविष्कृत करें. जाती-पांति, उंच-नीच से ऊपर उठ कर केवल राष्ट्र हित की विचारधारा सबके हृदय में प्रवाहित हो ऐसा वशीकरण मंत्र बनायें. किसानों को भरपूर फसल मिले दाम मिले ऐसा ॐ फट स्वाहा करे.
बेहिसाब बढती जा रही महंगाई को काबू करने की पर्ची काटें. सारे ब्रह्माण्ड के जीवजन्तु सद्भावना से जी सकें ऐसा कोई रक्षा स्त्रोत सिद्ध कर दें. युवाओं के जीवन को नरक करने वाले परीक्षा पेपर के गबन करने वालों को,रिश्वत खोरों को भस्म करने की कोई सप्तशती बांचें. बिकाऊ और राष्ट्रद्रोहियों को श्राप दे कर दण्डित करे. ऐसी भागीरथी भक्ति का माहौल करें कि रामराज्य की स्थापना हो जाए. तब ये हुए असल धर्म के गुरु. ईश्वर स्वरूप,अल्लाह के बन्दे, यीशु के बच्चे और भी जो जो जिस जिस के नुमाइंदे होने का दावा करते हो, दम भरते हों.
जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले जितने दोषी हैं उतने ही दोषी वे शिकार हुए लोग हैं जो इनके जाल में उलझते हैं. बड़ा आश्चर्यजनक है कि खुद के ज्ञान पर खुद ही अमल न करने वाले ये पाखंडी ऐसी कौनसी विद्या जानते हैं कि जनता इनकी मुर्खता में आंख बंद करके कैसे भेड़चाल चलने लगती है?
मेरे घर के कनेर के पेड़ को इन बेवकूफ भक्तों ने नोच उजाड़ा. मालूम हुआ कथा में कहा था कि कनेर चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होंगे. शमी जैसे दुर्लभ पेड़ कराह रहे. पेड़-पौधे संरक्षित करने, लगाने के ज्ञान की जगह उन्हें उखाड़ने का ज्ञान देने वाले कैसे विद्वान् बने हैं?
इनके दरबार में चल रही नौटंकियों का ज़िम्मेदार कौन है? सारे धर्मों में अंधेर मचा रखी है. कोई बीबी को खेती बता रहा. कभी शौहर की संपत्ति बना रहा. कहता है यदि पति की कामनाएं जगी हैं और पत्नी प्रसूति के लिए जा रही है/ ऊंट पर बैठे हो तो भी पति का दिल बहलाना पड़ेगा. ऐसी ही अनेक जाहिल बातों से भरे पड़े हैं संचार माध्यम. एक ‘हो’से शारीरिक मानसिक रोगियों को ठीक कर देने का अचूक इलाज है इनके पास. साईंस फेल.
इच्छापूर्ति, सुख सम्पन्नता और कई लालसाएं अधिकांशतः महत्वाकांक्षी महिलाओं को ऐसे दरबारों की ओर धकेलती हैं. वे आगा-पीछा सोचे समझे बिना इनके दरबार में हाजिरी भर अपनी कमजोरी की तृप्ति भाव से भ्रमित होती है.उसके भोलेपन और पारिवारिक सामाजिक दोयम दर्जे की प्रताड़ना की पीड़ा जम कर काम करती है.
आप देखिये इनके दरबार के वीडियो की भरमार है जिनमें न केवल पुरुष बल्कि पढ़ी-लिखी नौकरी पेशा औरतों और बच्चों की भी भीड़ उमड़ी पड़ी है.
इसका मतलब शिक्षा इनकी अंधभक्ति के आगे फेल है. सुख सफलता का मोह इन्सान को इतना डस चुका है की वो अच्छे बुरे का फर्क भूल चुका.
नहीं… इनसे ये न हो सकेगा. ये तो खुद ही लालसा से पगे, घोर लालची, झूठे मक्कार और अहंकारी हैं. सारे धर्मों में इक बोलबाला है. देश की समस्याओं से बेखबर करोड़ों बीघे जमीनों को डकारने वाले ये सारे आडम्बरी, राजनैतिक संरक्षण के बूते पे जनता का खून चूस रहे. उनके भोलेपन, अज्ञानता का लाभ उठा रहे और हम सब लाचारी से बस देख रहे.
शिक्षा, चिकित्सा, संचार, खेती, तकनीक आदि से इनका कोई लेना देना नहीं. बस धन की लालसा, जमीनों पे गिद्ध नजरें, औरतों पर गन्दी नीयत, झूठे अहंकार, बड़े पंडाल, रेशमी गद्दी, अकूत चढ़ावा, गाना बजाना, नाच, महंगे वस्त्र, गहनें, रील बन रही हैं, लोग पूज रहे हैं, ये भी झूम रहे हैं .
असल भक्ति नदारद. भाग्य विधाता बन बैठे हैं. अनाप शनाप बक रहे, आपस में लड़ रहे. माफीनामा कर रहे. ऊलजलूल कम करवा रहे. बेसिर पैर की अफवाहों से बरगला रहे. क्या नहीं हो रहा. कलयुग आ गया…कलयुग चल रहा…
“भगवान कहां है रे तू…”
क्या चाहिए जो ये बाबा जोगड़े दे देंगे … इनके पास जाने से पहले सुन लो एक बार – क्या ले के आयो जग में,क्या ले के जाएगा रे बंधु
