Indian Penal Code आज से खत्म, तीन नए कानून लागू
अब तक फिल्मों में जो ‘ताजीराते हिंद’ का डॉयलॉग आप सुनते आए हैं वे सभी अंग्रेजी जमाने के क्रिमिनल लॉ आज से पूरी तरह खत्म हो गए हैं और अब भारत में कानून तीन नई व्यवस्थाओं से लागू होगा. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बदलने के बाद से आज भारत में एक नया दौर शुरु हुआ है जिसमें पुलिस को भी अपनी कार्यशैली बदलनी होगी. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 173 (1) में नागरिकों को मौखिक अथवा इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से जो ई-एफआईआर की सुविधा मिलली है उसे क्रांतिकारी कदम माना जा सकता है. धारा 173 (2) (1) के तहत नागरिक बिना किसी देरी के पुलिस के पास कराई गई एफआईआर की बिना शुल्क प्रति लेने के हकदार हैं. धारा 193 (3) के तहत पुहिस को 90 दिन में जांच की प्रगति पीड़ित को बताना ही होगी. दुष्कर्म मामले में धारा 184 (1) के अनुसार पीड़िता का मेडिकल उसकी सहमति से और अपराध की सूचना मिलने के 24 घंटे में होगी. ऐसे कई नियमों और कायदों के बदलने से अब घटना का संज्ञान लेने या एफआईआर कारवाने से लेकर मुकदमे में साक्ष्य और फैसलों तक की व्यवस्था बदलने वाली है. अब न एफआईआर करवाने के लिए उसी सीमा वाले थाने में पहुंचने की अनिवार्यता होगी और न मुकदमे की सुनवाई कर अनंत काल तक निर्णय सुरक्षित रख लेना आसान होगा. सबसे बड़ी बात तो यह है कि अब बाकायदा आतंकवाद की परिभाषा तय की गई है और इस परिभाषा तय हो जाने भर से अपराधियों के छूटने की संभावना में काफी कमी आएगी. भीड़ द्वारा घेरकर मारने यानी मॉब लिंचिंग को लेकर भी पहली बार साफ गाइडलाइन होंगी. हालांकि विपक्ष इन संहिताओं के लागू होने से खुश नहीं है और वे लागातार हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि इनके लागू होने को टाल दिया जाए. आज संसद में भी इस बात को लेकर हंगामे की योजना इंडी गठबंधन ने कर रखी है ताकि वे बता सकें वे अंग्रेजों के बनाए कानून से खुश हैं और उन्हें बदले जाने की जरुरत वे महसूस नहीं करते.