आप जासूस हैं या रिश्तेदार?
दूसरों के जीवन में दखलअंदाजी से बचिए भिया…
–डॉ.छाया मंगल मिश्र
-प्लीज यार सोशल मीडिया पर मुझे टैग मत करना.. अपने फोटो डालो तो मेरा क्रॉप करके डालना : मस्त पिकनिक के बाद दीपिका ने अपनी सहेलियों से रिक्वेस्ट की…
लेकिन क्यों यार तुम रिश्तेदारों से इतना डरती क्यों हो? सोनाली ने तनिक खीझ कर पूछा.
नहीं यार बात डरने की नहीं है ..मुझे सफाई देने में थकान होती है. फोटो पर तो सब बढ़िया कमेंट करेंगे और पीछे से सवाल-जवाब और टांग खिंचाई का काम शुरू हो जाता है.
*बहुत घूम रही हो आजकल, बस हमसे मिलने की ही फुरसत नहीं है.
*हमारे साथ जाने में तो बिजी हो जाती हो.
*सहेलियों में फूल लगे हैं हममें क्या कांटे लगे हैं…
मुझे समझ नहीं आता दूसरों से या सहेलियों-दोस्तों से इनको तुलना करना ही क्यों है?? बस यही उलझन है मेरी…
ऐसे रिश्तेदार-दोस्त या परिचित आपके भी होंगे जो खुद तो अपनी लाइफ भरपूर एंजॉय करते हैं बस आपको अपने हिसाब से चलाना चाहते हैंआपकी खुशी,आपका घूमना फिरना,सजना -संवरना, खाना-पीना, आना-जाना मिलना जुलना पसंद नहीं आता इनको…आप कुछ भी करेंगे तो सबसे पहले इनकी भौंवे टेड़ी होंगी.. ये आपको दोयम दर्जे का मान कर चलते हैं.सारे हक अधिकार इनके हैं और कर्तव्य सारे आपके हैं…
अगर कहीं जाओ भी तो इनको बता कर,इनका इगो जस्टीफाय कर के…
आपकी खुशखबरी हो या हारी बीमारी इनको पहले नहीं बताया तो मुंह सबसे पहले इनका सूजेगा. फिर शुरु होता है ताने,लानत मलामत का सिलसिला… अगर आप एक रिश्तेदार के घर गए और खुदा न खास्ता इनको पता भर चल गया तो रुठे हुए सवालों की बारिश कर देंगे… हमारी याद नहीं आती? हाँ भैया हमको क्यों याद करोगे? बड़े-बड़े लोगों के यहाँ जाते हो…
खुद की व्यस्तता को बढ़ा-चढ़ा कर बताएंगे दुख भी इनके ही सबसे बड़े होते हैं लेकिन आपको ये मानवीयता के किसी धरातल पर रख कर नहीं देखेंगे….
आपकी लाइफ़ के सुख-दुख बहुत आत्मीय बनकर सुन जरूर लेंगे लेकिन उससे इनका रत्ती भर भी वास्ता नहीं होता…
अच्छा चलो आप इनको भाव देकर भी देख लो पर आपका किया धरा सब इनको कम ही लगेगा… जितना झुकोगे ये आपके माथे पांव धरने में भी नहीं चुकेंगे…
इन्हें हर किसी से प्रॉब्लम है वो जो इनसे होकर नहीं जाता… इनके पास हर जानकारी होना चाहिए,इन्हें हर बात पता होना चाहिए… हर मामले में पहला फुटेज इन्हीं को चाहिए… नतीजा होता है यह कि दीपिका जैसे लोग इनसे सहज नहीं रह पाते हैं और या तो छुपते हैं, बचते हैं,कतराते हैं या झुठ का सहारा लेते हैं….
हमें दूसरों की ज़िंदगी जीना ही क्यों है भाई??
सबको ईश्वर ने स्वतंत्र बनाया है, सबकी एक ही लाइफ है.. सबको हक है अपने हिसाब से लाइफ को डिजाइन करने का…
रोज रोज कौन किसी के घर जाता है…. रोज रोज क्यों कोई अपनी दिनचर्या आपको बताए?? क्यों किसी को अपने प्लान,अपनी उपलब्धि,अपनी खुशी और अपने गम आपको बताने चाहिए???
अगर आपकी भी ऐसी आदत है तो ये आदत अभी बदल डालो…. सबको आज़ाद रखो और खुद भी फिजूल के तनावों से आज़ाद रहो…. कोई कुछ भी करे,कहीं भी आए जाए…कभी भी उठे सोये….क्या करना है आपको?? आप मस्त रहो ना यार..यूं ही दाल-भात में मूसलचंद क्यों बनना है…? करने को लाखों काम है आपके अपने ही हजारों संताप होंगे उनसे निपटो न… काहे दुबले और दो आषाढ़ हुए जा रहे हैं…. क्यों किसी भी दीपिका को डरना चाहिए आपसे????
कड़वी लग रही है न बात तो जाकर गुड़ खा लीजिए पर दखलअंदाजी से बचिए भिया…