France की महिला ने कंपनी को मुफ्त सेलेरी देने पर कोर्ट में घसीटा
पु्रांस की एक महिला हैं लॉरेंस वैन वैसेनहोव, 1993 में इन्होंने एक टेलीकॉम कंपनी ज्वाइन की और तब से उन्हें लगातार वेतन समय पर मिल रहा है लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कंपनी को कोर्ट में घसीट दिया है. लॉरेंस का कहना है कि कंपनी उन्हें कोई काम नहीं देती है जबकि वे चाहती हैं कि वो काम करें और उसके बदले तनख्वाह लें. उधर कंपनी का अपना तर्क है, उसका कहना है कि चूंकि लॉरेंस को आंशिक पैरालिसिस अटैक के बाद स्वास्थ्यगत मुश्किलें थीं और मिर्गी की वो हमेशा से शिकार रही हैं इसलिए कंपनी एउनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें काम नहीं दे रही है. लॉरेंस ने 1993 में कंपनी ज्वाइन की और 2002 तक सब ठीक चला लेकिन इसके बाद उन्हें पक्षाघात हुआ तो उन्होंने दूसरे ऑफिस में ट्रांसफर लिया तो वहां हालात पूरी तरह बदले हुए थे और उन्हें कोई काम नहीं दिश्या जा रहा था. इस बात को जब लॉरेंस ने कंपनी के अफसरों तक पहुंचाने की कोशिश की तो भी नतीजा नहीं निकला और उन्हें वेतन लगातार दिया गया लेकिन काम नहीं दिया गया. इस बीच उसकीर कंपनी का अधिग्रहण भी ऑरेंज ने कर लिया और उसने भी महिला को काम देना उचित नहीं समझा. अब लॉरेंस ने केस लगाते हुए कहा है कि बिना काम के वेतन देते हुए कंपनी उन्हें नौकरी छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है जबकि कंपनी का कहना है कि वह महिलाओं को अच्छा वर्क कल्चर देते हैं और इस मामले में भेदभाव जैसा कुछ नहीं है बल्कि मानवीयता का तकाजा पूरा किया गया है.