Ram Navmi विप्र धेनु सुर संत हित…भए प्रकट कृपाला
अयोध्याधाम में श्रीराम मंदिर पर विशेष आयोजन, लाखों श्रद्धालुओं का आना जारी
श्रीराम परब्रहा हैं, संसार के सूत्रधार हैं. सत्य और धर्म के पर्याय भगवान श्रीराम सद्गुणों के भंडार हैं. जनमानस उनकी जीवन पद्धति को आदर्श मानता है. विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार भगवान श्री राम का पराक्रम महाकाव्य के रुप में है लेकिन उतनी महत्व की उनके बारे में प्रचलित उत्तरकथाएं और लोककथाएं हैं. तुलसीदास ने श्रीराम को काम, क्रोध, और कलिपाप नष्ट करने वाला बताया है. वे शिवजी के पूज्य हैं और स्वयं शिवपूजा कर ही लंका के लिए प्रस्थान करते हैं. श्रीराम के गुणों से कुमार्ग, कुतर्क, कुचाल और कलियुग के दोष नष्ट होते हैं. श्रीराम शीतलता और सुख देने वाले पंद्र सदृश हैं और सूर्यवंशी होकर सूर्य की ही तरह तेजोमय हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम, आदर्श भाई, आदर्श स्वामी और नीति कुशल व न्यायप्रिय राजा हैं. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सत्य और मर्यादा का पालन करना उनकी कर्तव्यपरायणता का चरम हैं. अहिल्या का उद्धार करने से शबरी को नवधा भक्ति तक देने वाले श्रीराम स्नेह का जीवंत उदाहरण हैं.
आदर्श मित्रता उनसे सीखी जा सकती है. पवनपुत्र उनके अनन्य भक्त हैं. तो जटायु को पिता तुल्य सम्मान मानवीय आचरण का निर्धारण करने वाला प्रतीक है. विभीषण जब श्रीराम के शरणागत हुए तो श्रीराम ने कहा ‘शरणागत को जे तजहिं निज अनहित अनुमान, ते नर पांवर पापमय तिन्हहिं बिलोकित हानि’. एक आदर्श, निष्पक्ष और बंधुतापूर्ण आचरण वाले श्रीराम के आदर्श से ही सुसंस्कृत समाज की नींव डाली जा सकती है.