Chagos ब्रिटेन से अब मॉरीशस को मिला, उपनिवेश की खत्म होती कहानी
अमेरिकी नौसेना का बड़ा अड्डा डिएगो गार्सिया भी चागोस में ही
बर्नडेट डुगासे और बर्ट्रिस पोम्पे यूं तो ब्रिटिश नागरिक हैं लेकिन अब वो अपनी ही सरकार के खिलाफ कोर्ट में जाना चाहती हैं क्योंकि ब्रिटिश सरकार और अमेरिकी सरकार में हो रहे समझौते के मुताबिक चागोस द्वीप समूह अब मॉरीशस के पास जा रहा है और इन दोनों का कहना है कि एक बार यह मॉरीशस के पास गया तो अपने ही जन्म स्थान यानी चागोस जाने में इनके लिए मुश्किल हो जाएगी.
ब्रिटेन ने 1965 में मॉरीशस पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश मॉरीशस से ये द्वीप अलग कर दिए थे और मॉरीशस को 1968 में आजादी मिली. चागोस द्वीपसमूह को ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र कहा जाता रहा है और 1960 और 1970 के दौरान ब्रिटेन ने अमेरिकी सेना के लिए बेस बनाने में मदद करने की गरज से द्वीपों से 2,000 लोगों को बेदखल किया था, इसके बाद ही अमेरिकी सेना का डिएगो गार्सिया बेस का निर्माण हो सका. मॉरीशस ने अपनी आजादी के बाद से ही इस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन के दावे का विरोध किया है. मॉरीशस इसके लिए लड़ता रहा कि द्वीप समूह उसके पास हों. ब्रिटेन पिछले साल ही समझौते की मुद्रा में था लेकिन मॉरीशस में सरकार बदलने से देरी हुई. ट्रंप ने आते ही फिर इस मुद्दे पर काम करना शुरु किया. हालांकि चागोस वापस मॉरीशस और प्रकारांतर से अमेरिका के सैनिक अड्डे बतौर जाने पर कुछ चागोस वासी नाराज भी हैं जिनमें डुगासे और पोम्पे भी शामिल हैं. सौदे पर ब्रिटिश विपक्षी दल भी नाराज हो रहे हैं.