Waqf Amendment Bill आखिर संसद में
क्या है वक्फ और क्या हैं प्रस्तावित संशोधन
देशभर में इस समय शिया और सुन्नी मिलाकर 32 वक्फ बोर्ड काम कर रहे हैं और 2022 में सरकार ने देश में 8,65,644 अचल संपत्तियां वक्फ की होने की बात कही थी. मजे की बात यह है कि 1952 से अस्तित्व में आए वक्फ की संपत्तियां 2009 के बाद सीधे दोगुना हो गईं. इस समय 9.4 लाख एकड़ से ज्यादा की जमीन वक्फ के पास है जिसकी कीमत लाखों करोड़ की है. दरअसल वक्फ़ इस्लामिक नियमों के मुताबिक वह संपत्ति है जो मज़हबी कामों में आ सकती है. इसे लेकर अब तक चले आ रहे कानून ऐसे थे कि यदि किसी भी जगह पर वक्फ ने दावा कर दिया तो उसका निर्णय भी अंतिम रुप से वक्फ के पास ही होता था यानी जिस पर कब्जे के आरोप होते थे उसी के पास अंतिम फैसला होता था.
अब क्या बदलाव प्रस्तावित हैं-
. पुराने क़ानून में वक़्फ़ किसी भी प्रॉपर्टी पर दावा कर देती थी तो निर्णय के लिए वक्फ़ ट्रिब्यूनल का ही निर्णय को अंतिम होता था. नए क़ानून में विरोधी पक्ष 90 दिन में हाईकोर्ट जाने की पात्रता होगी.
. पुराने क़ानून के अंतर्गत मुस्लिम ही बोर्ड सदस्य होते थे. नए नियम में दो सदस्य ग़ैर मुस्लिम जरुरी हैं, दो मुस्लिम महिलाओं को भी अब प्रतिनिधित्व मिलना तय.
. वक़्फ़ के पास से अपने ही क़ब्ज़े को सही ग़लत जांचने वाले अधिकार कम होंगे. बिना विवाद की प्रॉपर्टी ही वक्फ की होगी जब तक कि अंतिम निर्णय न आ जाए. यानी विवादित प्रॉपर्टी फिलहाल विवादित ही होंगी.
. पहले मुस्लिमों की लावारिस संपत्ति हो खुद वक्फ़ की हो जाती थी. नए क़ानून में संपत्ति में बेटियों के अधिकार के क्लॉज से महिलाओं के हक में बड़ा बदलाव लेकिन वक्फ को नुकसान.
. वक्फ़ को लेकर केंद्र सरकार न नियम बना सकती थी, न निर्देश दे सकती थी और न कैग ऑडिट होता था. अब नए कानून यह सब संभव होगा.
. पहले केवल सुन्नी और शिया वक़्फ़ बोर्ड था. नए क़ानून में आग़ाख़ानी और बोहरा बोर्ड भी संभव. कोई दोयम दर्जे का मुसलमान नहीं रहे.
. पहले वक्फ़ बोर्ड को कोई भी मुस्लिम संपत्ति दे सकता था. नए क़ानून में साबित करना अनिवार्य है कि दानकर्ता पिछले पाँच साल से इस्लाम में है. धर्मांतरित लोगों की संपत्ति लेकर उन्हें भगाने के प्रवृत्ति रुकेगी.