Blog : जिसे भी देखिए वो अपने आप में गुम है…
डॉ.छाया मंगल मिश्र
-ब्लॉग-एकांत/अकेलापन दोनों में बहुत अंतर होता है. एकांत सुख शांति होता है पर अकेलापन आत्मा के खालीपन को बढ़ाता है. कम उम्र इन्सान भी इसी रोग के शिकार हो रहे. अकेलापन उनकी जिन्दगी की राह को कंटीली बना रहा. सोशल मीडिया / मोबाईल की सरल उपलब्धि उस पर तरह तरह के प्लेटफ़ॉर्म अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं. आसपास से बेखबर अपनी हथेली में गुम लोग. जहां जाओ घर बाहर, जात समाज, मौत मरण, धार्मिक ऐतिहासिक कहीं भी जिसे भी देखिये सब अपने आप में गुम हैं.
जीवंत को छोड़, स्क्रीन पर वीडियो बनता देखने की मूर्खता इन्हें हर उस आनंद से वंचित करती है जो स्वर्गिक आनंद देती है. इन्हें समझ नहीं आता कि ये सभी सामग्री के रूप में गूगल जैसी जगहों पर आपके बने वीडियो से भी कहीं उत्कृष्ट गुणवत्ता के फोटोज वीडियोज उपलब्ध हैं. पर इन्हें खुद के बने वीडियो चाहिए. अरे आजकल शादी ब्याह के वीडियो ही साथ बैठ कर बार बार नहीं देखे जा रहे, समय कहां होता है सबके पास. जबरन फोन की स्पेस पर अत्याचार करते हैं. किसी से कोई मतलब ही नहीं है, अपनी धुन में मोबाइल पकड़े चले जा रहे हैं. कहीं कुछ छूट न जाए के खौफ से थके हारे, कुछ नया न सुन पाने, कुछ नया न समझ पाने, अपने ही बंद दायरे में सिमटे, डरे डरे, सहमे सहमे लेकिन खुद को खुदा मान बैठे लोगों की यही निशानी है.
स्टेटस, स्टोरी, इन्स्टा पर दिखावा करते ये लोग कितने लाचार हैं कि ईश्वर के दिए इस अनमोल जीवन को एक छोटी सी मशीन के हवाले कर इसे ही ब्रह्माण्ड का आनंद मान बैठे हैं. जिस उम्र में दुनियदारी, व्यावहारिकता सीखनी है वे दूसरों के सोशल मीडिया अकाउंट खंगाल कर समय नष्ट कर रहे. रील्स बनाने की होड़ इन्हें कहीं का नहीं छोड़ रही. एक दिन भी कहीं चूक न जायें वरना ऑक्सिजन खत्म हो जाएगी हवा में ऐसा इनका व्यवहार है.
‘इन्फ़्लुएन्सर’नामक नई पौध प्रजाति ने सबका दिमाग ख़राब किया हुआ है. घर परिवार के लोगों की कोई वकत नहीं, जो यदि हो भी तो सुनता कौन है? जात समज का कोई खौफ नहीं क्योंकि कईयों के घर तो खुद ही ये बीमारी जोरों पर है और कुछ खुद ही कुनबा की कुनबा शामिल है.
इस युग में भीड़ में सभी अकेले हैं. बस हथेली में जादुई चिराग ही सबका साथी हो चला है. पर इसमें बैठा जिन्न भले ही आपको नजर नहीं आता. अलादीन का जिन्न भी केवल तीन ही इच्छाएं पूरी करने में सक्षम था कहानियों में. ये तो आपकी जिंदगी से सब छीन रहा है. संवेदना, प्यार, स्वास्थ्य, रिश्ते, प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद और सबसे बड़ी बात आपकी सहजता. एकांत सुख का साथी केवल आत्मिक संतुष्टि, परिवार, लोग और धरती की सुंदर रचनाएँ भी हैं. जो आपको आल्हादित करतीं है. फ्राम में आने के बाद सभी वस्तुएं मुर्दा ही जातीं हैं फिर वो चाहे कोई भी हो…
अतः जीवन्तता का आनंद लें. अपनों का सुख भोगें. प्राणियों से संवेदना बरतें, प्रकृति से प्यार करें, बारिश की बूंदों में बसे अमृत का मजा लें. ऐसी कई अनुभूतियां हैं जिन्हें ईश्वरीय वरदान मिला हुआ है. अमरता लिए हमें आनंदित करतीं हैं. पर हम हैं कि बस अपने आप में गुम हैं…