Justice Verma के नोटों के बोरे वाले स्टोर रूम भी पहुंची जांच टीम
एफआईआर की मांग करने वाले याचिकाकर्ता से कहा गया सार्वजनिक बयान न दें
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग के बाद जले हुए नोटों के बंडलों के मामले में याचिकाकर्ता ने वर्मा पर एफआईआर की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट ने उसे कहा कि आप सार्वजनिक बयान नहीं दें. जस्टिस वर्मा के घर मिले नोटों के बंडलों की आग अब कानूनी हलकों में काफी गंभीरता से ली जा रही है और इसे लेकर हरसंभव प्रयास किया जा रहा है कि वर्मा बच सकें. पहले तो फायर ब्रिगेड के चीफ से कहलाया गया कि ऐसा कुछ मिला ही नहीं लेकिन जब वीडियो जैसे सबूत ही सामने आ गए तो दूसरा पैंतरा अपनाया गया कि वर्मा को इलाहाबाद ट्रांसफर कर दिया जाए. इस कदम का भी वहां के वकीलों ने विरोध कर दिया.
इस सबके बाद भी पूरी कोशिश यही नजर आ रही है कि जैसे भी हो जस्टिस वर्मा को बचा लिया जाए क्योंकि बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी. जस्टिस वर्मा भी उसी कॉलेजियम सिस्टम से आते हैं जिसमें नियुक्तियां पूरी तरह न्यायाधीशों के हवाले है और ऐसे में यदि नोटों के बंडल जैसे मामले सामने आते हैं तो उन सभी पर सवाल खड़ा होता है जिन्होंने वर्मा को यहां तक पहुंचाया था. वर्मा की जांच भी आतंरिक तौर पर तीन जज ही कर रहे हैं और इससे पहले उनके ट्रांसफर की बात भी कुछ जज ने ही मिलकर तय कर दी थी. जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका पर सुनवाई को तो कहा गया है लेकिन याचिकाकर्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा को सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक बयान न देने को भी कह दिया है. जस्टिस वर्मा के घर होली के दिन आग लगने पर जब फायर ब्रिगेड बुझाने गई तो स्टोर रूम में बोरियों में भरे 500-500 रुपए नोट मिले थे. सुप्रीम कोर्ट की बनाई जांच कमेटी ने मंगलवार को वर्मा के घर पहुंचकर जांच में स्टोर रूम पर भी नजर डाली थी.